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स्कंदमाता सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री

पूजा करते ज्योतिषाचार्य एसके पंडे

नियामतपुर – नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना पूरी विधि पूर्वक की गई. शिल्पांचल का भक्ति स्थल कल्याणेश्वरी स्थित मंदिर में प्रसिद्द ज्योतिषाचार्य सह राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के प्रदेश अध्यक्ष (प.बं) संतोष कुमार पांडे जी आज माँ के पाचवें रूप की पूजा- अर्चना की ओर सभी को मंगला कामना का आशीर्वाद दिया. माँ के पांचवें स्वरूप  के बारे में उन्होंने बताया कि स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है, भगवान स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता के नाम से भक्त जानते है. स्कंदमाता शेर पर सवार रहती हैं, उनकी चार भुजाएं हैं, दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं, नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है. उन्होंने बताया कि मां स्कंदमाता की पूजा पवित्र और एकाग्र मन से करनी चाहिए. स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. इसके अलावा स्कंदमाता की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त हो सकता है. अगर बृहस्पति कमजोर हो तो स्कंदमाता की पूजा आराधना करनी चाहिए. स्कंदमाता की विधि विधान से की गई पूजा से कलह- कलेश दूर हो जाते हैं. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका  उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है.

Last updated: मार्च 22nd, 2018 by News Desk