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“””” श्रापित हैँ कोयला “””””

श्रापित हैँ कोयला —=== आज हम बात कर रहे हैँ कोयला रूपी काले हीरे की जो धनबाद की कोयला नगरी झरिया में प्राकृतिक का भंडार अपने अंदर समेटे हुई बैठी हैँ जिसका की नेचुरल दृश्य का अक्सर अबोध हो जाता हैँ जिसकी बानगी देखते ही बनती हैँ किन्तु मुद्दा हैँ कि क्यों हैँ यह काला कोयला श्रापित तो आप यह बात मान ले कि कोयले की काली कमाई में हाथ ही काले नहीं हो रहे हैँ अपितु दिल भी काला होता जा रहा हैँ और तो और कोयला जो की काला हैँ इसका यही रुप काल की ओर ध्यान भी केंद्रित कराता हैँ क्योंकि जो भी कोयला खदान में प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से काम कर रहे हैँ वे लोग स्वयं में संतुष्ट नहीं हैँ और यह बात मैं पूर्णतः कई कोयले की खदान में कार्य कर रहे श्रमिकों की बातों को ध्यान में रखते हुए कई महीनों की सर्वे के आधार पर पेश कर रहा हूँ चुकि कोयला का स्वरूप भी काला ही हैँ और ये बातें अपने अपने जेहन में ड़ाल ले की जो भी इंसान इस काले कोयले की सच्चाई से अभी तक अंजान हैँ तो वे धनबाद के पुराने इतिहास का अवलोकन करने का कष्ट करे सच्चाई स्वयं में परिभाषित हो जायेगी जबकि इस काले हीरे की पहेली आज भी अबुझ बनी हुई हैँ कहते हैँ ना कि माँ का एक स्वरूप धरती के रुप में भी मानी गई हैँ और उसी माँ का सीना आज छलनी हुआ पड़ा हैँ तो कितना आप आशा और आशीर्वाद इस काले कोयले रूपी हीरा से पाना चाहते हैँ आप स्वयं आकलन कर लें जबकि अगर मजदूरों की मजदूरी के हिसाब से भी कोयला का अपना स्वरूप हैं क्योंकि कोयला खदान में काम कर रहे श्रमिकों का जीवन इतना विडंबना से भरा पड़ा हैँ कि वे सभी लोग दुःख और गंभीर बीमारी से ग्रसित हैँ और चाहकर भी अपना पूरा जीवन नहीं जी पा रहे हैँ जो की एक कड़वी सच्चाई को उजागर करती हैँ वहीँ एक श्रमिक अपना सम्पूर्ण जीवन इस कोयले की खदान में खपा देता हैँ और ज़ब उनके जीवन का वो खुशनुमा पल आने को होता हैँ तो उसका अपना जीवन कब विलुप्त हो जाता हैँ पता ही नहीं चलता हैँ ये भी किसी अबुझ पहेली जैसी ही दिखाई पड़ती हैँ कहने का तात्पर्य यह हैँ कि इस काले कोयले की कमाई को कोई भी आजतक भोग नहीं पाया हैँ जो की इसके श्रापित होने की ओर ईशारा करती हैँ मैं मेरी विचारों और भावनाओ को अपने जेहन की गहराइयों से लिखने की कोशिश करता हूँ और आशा करता हूँ कि मेरे ये लिखे हुए लेख को आप सब ध्यान पुर्वक पढ़ेंगे क्योंकि वाकई में कोयले की कहानी कोयला की हैँ जुबानी और ना जाने की कबतक इस कोयला रूपी काले हीरे का दोहन होता रहेगा ??????

Last updated: सितम्बर 1st, 2025 by Arun Kumar