शहीद सदानन्द झा रेलवे मार्केट गोमो के 49 दुकानों को रेलवे द्वारा तोड़ने की नोटिस से सभी दुकानदारों में भय एवं आक्रोश है। रेलवे द्वारा 10 दिन का समय दिए जाने का बुधवार को आखिरी दिन था। कल फिर नोटिस देकर सभी दुकानों को खाली करने का आदेश दिया गया।
वृहस्पतिवार को मार्केट के सभी दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकान बंद कर सड़क के किनारे अनिश्चित कालीन धरना पर बैठ गए हैं। इन दुकानदारों का कहना है कि रेलवे प्रशासन ने गोमो में इसी महीना ही सैकड़ों दुकानों को सड़क के किनारे से उजाड़कर इसे बदहाल कर दिया है। विकास के नाम पर विनाश से आज हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। लोगों को दवाइयाँ, सब्जी, राशन, तथा रोजमर्रा की वस्तुएं मिलना दूभर हो गई है।
हजारों लोगों के बेरोजगार होने से गोमो की आर्थिक सामाजिक एवं सुरक्षात्मक संरचना बिगड़ गई है। हजारों परिवारों के बीच भूखे मरने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दुकानदारों का कहना है कि रेलवे हमलोगों के साथ दोहरी नीति अपना रही है। सभी दुकान रेलवे द्वारा आवंटित है। हमलोग हमेशा किराया भी रेलवे को देते रहे हैं। अब कहा जा रहा है कि 2017 से अलाटमेंट रद्द कर दिया गया है। अब डब्लपमेंट के नाम पर सभी 49 दुकानों को हटाने का नोटिस दिया जा रहा है।
ऐसे में तो हमलोग बर्बाद हो जाएँगे। कई दुकानदारों ने चिंता भरी नम आँखों से कहा कि हम लोग करीब 40 वर्षों से इस मार्केट में दुकान करके अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे हैं। दुकानों में सामान भरा पड़ा है। मंहगे फर्नीचर लगे हुए हैं। आखिर कहाँ लेकर जाएं। बैंक का लोन है। सैकड़ों ग्राहकों के पास बकाया पैसा है। सब डूब जाएगा। आखिर इस उम्र में हम लोग कहाँ जाएँगे । हम लोग बर्बाद हो जाएँगे।
दुकान टूटने की जानकारी पर परिवार सभी सदमे में हैं। स्थाई दुकान सोंच कर हम लोग बेफिक्र थे। अब हम लोगों पर भी गाज गिराया जा रहा है। जो सरासर गलत है। इन सभी दुकानदारों ने कहा कि रेलवे के अफसरों को दुकानदारों की परेशानी भी समझनी चाहिए। जब तक हमलोगों का समस्या का समाधान नहीं होगा। तब तक हमलोग दिनरात इसी तरह सड़क के किनारे धरने पर बैठे रहेंगे। बेरोजगार होकर घर पर मरने से बेहतर है कि हम लोग यहीं मर जाएँगे।