वफ़ा करके भी तन्हा रह गए, शाहिद परवेज़
आसनसोल। 32 वर्षों से आसनसोल की मांटी में कॉंग्रेस पार्टी के वफादार, के बाद अब राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कॉंग्रेस की वफादारी के एक वर्ष बीतने के बाद भी शाहिद परवेज़ तन्हा है। अपने प्रखर विचारधारा और निर्भीक स्वभाव के शाहीद को अब तक किनारा नहीं मिल सका। विगत विधानसभा चुनाव से आसनसोल के कद्दावर तृणमूल नेता सह मंत्री मलय घटक के हाथ थामकर उन्होंने अपनी 32 वर्षों की अपनी कॉंग्रेसी बुनियाद को स्वयं ही उखाड़ डाली। कहते है आसनसोल उत्तर विधानसभा से मंत्री मलय घटक को जीत दिलाने में शाहिद परवेज की अहम भूमिका रही,यह बात स्वयं मंत्री मलय घटक भी कई बार स्वीकार चुके है। हालांकि बीते विधानसभा फ़तह की इनाम को शाहिद परवेज़ इस बार नगर निगम चुनाव में टिकट के रूप में पाना चाहते थे।
कहा जाता है कि आसनसोल नगर निगम वार्ड साँख्य 44 में तृणमूल उम्मीदवार के रूप में शाहिद परवेज़ का भी एक नाम था। किंतु यहाँ से तृणमूल ने अमरनाथ चटर्जी की उम्मीदवारी पक्की कर दी। सूची जारी होते ही, दिल के अरमान आँसुओं में बह गए, और शाहिद परवेज वफ़ा करके भी तन्हा रह गए। मामले को लेकर शाहिद परवेज ने कहा टिकट मिले ना मिले मैंने सदा ईमानदारी पूर्वक नेतृत्व किया। वार्ड साँख्या 44 उम्मीदवार अमरनाथ चटर्जी को जीत दिलाने के लिए भी मैंने दिन रात मेहनत किया और जीत हासिल भी हुआ। हो सकता है पार्टी आलाकमान के पास अभी भी मेरी कोई परीक्षा बाकी रह गई हो, मैं हर परीक्षा के लिए ईमानदारी से तत्पर हूँ।
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