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शब-ए-बारात इबादत व मगफिरत की रात -बेलाल अजाद

लफ्जों शब और बारात से मिलकर शब-ए-बारात बना है, शब का मतलब रात से है और बारात का मतलब बरी यानी बरी वाली रात से है, इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज, तिलावत-ए-कुरान, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात का अहम काम हैं। उक्त जानकारी आज शब-ए-बरात के अवसर पर इबादतियो को मुबारकबाद देते हुए समाजसेवी बेलाल अजाद ने कहा, उन्होंने कहा कि यह त्यौहार मुसलमानों के लिए एक आला दर्जे का त्योहार है, मुसलमानों की ऐसी धारणा है कि अगर इंसान इस रात को सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों से तौबा की जाए, तो अल्लाह इंसान के हर गुनाह से मगफिरत देता है। शब-ए-बारात हजारों रातों की एक रात होती है, इसमें मगरिब से लेकर फजर की नमाज तक लोग इबादत करते है, और फजर की नमाज के बाद लोग कब्रिस्तानों में जाकर पूर्वजों की कब्रों पर फातिहा पढ़कर उनकी बख्शिश की भी दुआ करते है।

Last updated: मार्च 7th, 2023 by Aksar Ansari