रेल नगरी चित्तरंजन में सर कटी लाश मिलने से सनसनी
चित्तरंजन। चित्तरंजन रेल नगरी में हत्या और अपराध थमने का नाम नहीं ले रही है पुलिस और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता के बाद यहाँ की अपराधी बेलगाम हो चुके हैं शुक्रवार को एक सर कटी लाश मिलने के बाद यहाँ अपराध की फेहरिस्त में एक और हत्याकांड की अध्याय जुड़ गई है। घटना के संदर्भ में बताया जाता है कि चित्तरंजन पीपीटी के शालबन जंगल (फतेहपुर) में एक क्षत विक्षत सर कटा शव मिलने की सूचना से इलाके में सनसनी फैल गई, घटना के बाद से ही क्षेत्र में भय और डर का माहौल बना हुआ है। स्थानीय लोगों ने पीपीटी शालबन के जंगलों में अज्ञात शव होने की सूचना चित्तरंजन पुलिस को दी।
मौके पर पहुँची पुलिस ने धड़ एवं कटी हुई सर और क्षत-विक्षत शव को जब्त कर मृतक की शिनाख्त में जुट गई जहाँ पुलिस ने शव की पहचान राकेश प्रसाद नामक 24 वर्षीय युवक की रूप में की। मृतक युवक चित्तरंजन स्ट्रीट नंम्बर 44, 4/A आवास में अपने परिवार के साथ रहता था, बाताया जाता है कि राकेश मंगलवार शाम से ही लापता था। इधर पुलिस ने शव को आत्मपरीक्षण के लिए आसनसोल स्थित जिला अस्पताल भेज दिया है।
घटना के संदर्भ में मृतक की बड़ी बहन अंजना कुमारी ने अपनी भाई की मौत को हत्या बताते हुए, चित्तरंजन पुलिस से इंसाफ की गुहार लगाई है। अंजाना कुमारी ने बताया कि उनका भाई मंगलवार संध्या से घर से लापता है, घटना को लेकर चित्तरंजन पुलिस के पास कई बार शिकायत की पर उन्होंने कोई भी शिकायत दर्ज नहीं की। थक हार कर गुरुवार रात को ही पुलिस ने गुमसुदगी की शिकायत ली और शुक्रवार की सुबह मेरे भाई का शव मिला, उसे बहुत ही बेरहमी से मारा गया है, उसके शव के पास से ही खून से लथपथ एक पत्थर मिला है जिसे हत्याकांड में इस्तेमाल किया गया है। कुछ दिनों पहले कुछ स्थानीय युवकों से मेरे भाई का झगड़ा हुआ था।
उन्होंने राकेश को जान से मारने की धमकी दी थी, उन्हीं लोगों ने मेरे भाई की गला काट कर निर्मम हत्या की है। मेरे भाई की हत्यारों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। इधर पूरे प्रकरण की टोह लेने एवं अपराधियों की तलाश में पुलिस जुट गई है।
स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि क्षेत्र में हत्या और अपराध अब आम बात हो गई है। चित्तरंजन रेल नगरी सिर्फ नाम के लिए संरक्षित क्षेत्र है यहाँ के अपराधी बेलगाम हो चुके हैं। इतनी घटनाओं के बाद भी पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठी है।

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