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रानीगंज हिंसा में मृतक महेश के विधवा की पीड़ा , अब कल से क्या होगा मेरा …….

अपनी बेटी से साथ बिलखती महेश की विधवा

रानीगंज अब इस दुनिया में मेरा कोई नहीं , कल से मेरी स्थिति क्या होगी मालूम नहीं , 2जून की रोटी और घर परिवार का भरण पोषण करने वाले मेरा देवता था. यह बात रामनवमी के दिन पर सोमवार को हुए सांप्रदायिक दंगा में मौत हुई महेश मंडल के पत्नी नूतन देवी रो-रो कर बयाँ कर रही है। अपनी 10 वर्षीय बेटी को लेकर चीख-चीखकर सुबह से ही रोते-रोते उसका हाल बेहाल है। महेश मंडल एक साधारण मुटिया मजदूर था। उसको इस रामनवमी के शोभा यात्रा व जुलूस को लेकर कुछ भी लेना देना नहीं था। वह कल शौच के लिए गया था और खेत में ही कुछ समाज विरोधी युवाओं ने मिलकर उसकी गला रेतकर हत्या कर दी । आज उसके अंतिम संस्कार में मंत्री मलय मुख्य घटक भी पहुँचे ।

बेहद हृदयविदारक स्थिति से गुजर रही महेश की विधवा

महेश का एक पुत्र 16 बरस का है, वह भी यहाँ नहीं रहता। बिहार के लखीसराय के रहने वाला यह परिवार बरसों पहले यहाँ मुटिया मजदूरी करने के लिए आया था । उसके घर के अँधियारे  का गम पूरे मोहल्ले में है । मोहल्ले का नाम विकासनगर जरूर है लेकिन यहाँ विकास भी दूर-दूर तक नहीं दिखती । उनके विकास के लिए स्थानीय बाशिंदा ही काम आए जो अंतिम संस्कार में गए । उनके परिवार की ओर से महेश का एक बड़े भाई आया था और संस्कार करने के पश्चात वह भी घर लौट गया। जो लोग गाँव से आए वे यहाँ रह पाते लेकिन उनके रहने बैठने तक का यहाँ कोई उपाय नहीं था। बेहद हृदयविदारक स्थिति इस जगह की है । वहीं दूसरी ओर इस इलाके में आज भी तनाव है, लेकिन पुलिस प्रशासन आज चौकस और तने हुए दिखे। मृतक के संदर्भ में मंत्री मलय घटक ने कहा कि मैं उस परिवार के घर भी गया था और श्मशान घाट भी जो उचित और उपयोगी होगा उनकी सहायता की जाएगी

रानीगंज के वरदही इलाके से भी कुछ युवाओं का गला रेतने का प्रयास किया गया था लेकिन वे बच गए और अस्पताल में इलाजरत हैं। स्थिति नाजुक ।

Last updated: मार्च 28th, 2018 by Raniganj correspondent