वर्ष 1836 में रथ पूजा की शुरूआत हुई थी
रानीगंज -सदियों से मनाई जाने वाली रानीगंज के सीआरसोल राजपरिवार की ऐतिहासिक रथ पूजा इस वर्ष भी हर्षोउल्लास एवं श्रद्धा के साथ आरम्भ हुई. इस दौरान नए राज भवन से पुराने राजभवन तक रथ को खींचने की परम्परा है, जिसका पालन आज तक किया जाता है. मौके पर परंपरागत रथ पूजा भगवान जगन्नाथ के अलावा दामोदर चंद्र जी की पूजा अर्चना की गई. उल्लेखनीय है कि राजपरिवार के गोविंद राम पंडित ने वर्ष 1836 में रथ पूजा की शुरूआत की थी, उस वक्त लकड़ी का रथ हुआ करता था. जो आकस्मिक दुर्घटना में जल गई थी. जिसके बाद वर्ष 1933 में गोविंद राम पंडित की पुत्री हरसुन्दरी देवी ने पीतल से रथ बनवाकर पुनः रथ पूजा आरम्भ की थी. पीतल के बने इस रथ में रामायण तथा महाभारत के पात्र अंकित है.
रथ मेला में लगे है 200 से अधिक स्टॉल
सात दिवसीय मेला का आयोजन भी किया गया है, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है. मेला के संचालक सियारसोल स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एसोसिएशन के सदस्य अहम भूमिका निभा रहे हैं. सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस ने पुख्ता इन्तेजाम किये है. मेला में बच्चों के लिए डांसिंग झूला व गेम के स्टॉल लगाए गए हैं. मेला में लकड़ी तथा लोहा के सामान के आलावा कटहल,आम,जामुन के पोधे भी बिक रहे हैं. मेला कमेटी के सदस्य निर्मल चटर्जी ने बताया कि बीते वर्ष की भांति इस वर्ष भी 200 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, एवं मेला में किसी प्रकार का आशांति ना हो इसके लिए वालंटियर की विशेष व्यवस्था की गई है. राज परिवार के सदस्य विट्ठल माल्या के अलावा आसनसोल नगर निगम के मेयर परिषद सदस्य स्वास्थ्य देब्येंदु भगत,रानीगंज के बोरो चेयरपर्सन संगीता सारडा के अलावा रानीगंज के गण मान्य व्यक्तियो ने रथ खिंचा.