Site icon Monday Morning News Network

रक्षाबंधन के दिन पेड़ में राखी बांधकर पेड़ को बचाने का संकल्प ग्रामीणों के द्वारा लिया गया

रक्षा बंधन के दिन पेड़ों में बांधी जाती है राखी, एक अनोखी परम्परा या कहे पेड़ बचाने का संकल्प,,,

धनबाद से हुई थी पेड़ को राखी बांधने की अनोखी परम्परा रक्षाबंधन की शुरुआत

धनबाद, धनबाद रक्षाबंधन का यह पर्व यहाँ अनोखे तरह से मनाया जा रहा है, चुकि जिलों में जंगल पहुंच महिलाएं पेड़ो पर राखी बांध रही हैं। जिले के कई जगहों पर गुरुवार को महिलाओं ने पेड़ो पर रक्षा सूत्र बांध पेड़ो की रक्षा का संकल्प लिया।महिलाओं के साथ ग्रामीण और वन विभाग के अधिकारी भी इस मौके पे मौजूद थे वहीँ महिलाओं के साथ छोटी-छोटी बच्चियों ने भी पेड़ो पर रक्षा सूत्र बांधा। भारी बारिश में महिलाएं, छोटी बच्चियां और ग्रामीण वृक्ष रक्षा बंधन कार्यक्रम के रूप में मनाया। रक्षा बंधन के मौके पर वन विभाग ट्री रक्षा बंधन का कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। 11 और 12 अगस्त को दो दिन तक होने वाले इस कार्यक्रम में महिलाएं पेड़ों पर राखी बांध उसकी रक्षा का संकल्प लेंगी।ज्ञात हो कि धनबाद से हुई थी इस अनोखे रक्षाबंधन पेड़ को राखी बाँधने की शुरुआत
अनोखे अंदाज में रक्षाबंधन की शुरुआत धनबाद से हुई थी। वर्ष 2005 में तत्कालीन डीएफओ संजीव कुमार ने ग्रामीणों के साथ मिलकर रक्षाबंधन के इस अनोखे परंपरा की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य था की वृक्षों को बचाने और पर्यावरण को संतुलित करने का इससे बेहतर विकल्प दूसरा नहीं हो सकता हैँ,आज उनका यह मॉडल पूरे राज्य के लिए नजीर बन गया। इस रक्षाबंधन पूरे राज्य में बहनों ने वृक्षों को राखी बांध उनकी रक्षा का संकल्प लिया और पेड़ों को राखी बांधकर रक्षाबंधन का त्यौहार मना रहे हैं। यह हमारी पूर्व पुरानी परंपरा रही है। जिसका निर्वहन हमलोग कर रहे हैं। पेड़ हमें शुद्ध हवा देते हैं और जब पेड़ बचेंगे तभी हमारा जीवन भी बचेगा, वैसे एक मान्यता के अनुसार अगर जंगल नहीं बचेगा तो जीवन कैसे बचेगा इसी परम्परा को निभाने के उदेश्य से ही पेड़ पर राखी बाँधने की यह शुरुवात हुई थी जिसका परिणाम आज सबके सामने हैँ क्योंकि जंगल हैँ तो जीवन हैँ

Last updated: अगस्त 12th, 2022 by Arun Kumar