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इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा का साया नहीं पड़ रहा हैं – ज्योतिषाचार्य डॉ.त्रिवेदी

आसनसोल -भाई-बहन के संबंधो को मधुर और मजबूत बनाता रक्षा बंधन का त्यौहार की तैयारी आरम्भ हो गई है. रंग-बिरंगी, कलात्मक और खूबसूरत राखियाँ बाजारों की रौनक दुगनी कर रही है. दूर-दराज रहने वाले भाइयों को उनकी बहनो ने राखी भेज दी है, ताकि उनके भैया की कलाई सुनी ना रह जाए. भाइयों द्वारा भी अपनी बहनों के पसंद अनुसार उपहार ख़रीदे व भेजे जा रहे है. इस दिन बहने अपने भाईयो की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि की कमाना करती हैं, इसके बदले में भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं. आत्मिक और खूबसूरत रिश्ते का पवित्र त्यौहार रक्षा-बंधन श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस बार यह 26 अगस्त रविवार के दिन है.

इस पवित्र त्यौहार की जानकारी देते हुए सीतारामपुर लोको स्थित रामजानकी मंदिर के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. शदाशिव त्रिवेदी जी महराज ने कहा कि यह त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ करता है, इस कमजोर, छोटे और मामूली से धाँगे में बहन का प्यार और भाई का दृढ़ संकल्प छुपा होता है. उन्होंने बताया कि करीब चार वर्षों बाद इस बार रक्षा बंधन पर भद्रा का साया नहीं पड़ रहा हैं, चूँकि इस बार भद्रा नक्षत्र सूर्योदय से पहले ही खत्म हो रही है, इतना ही नहीं इस बार रक्षा बंधन में 11 घंटे तक का मुहूर्त बन रहा है.

जिस कारण इस बार बहने अपने भाइयों को सुबह 5.59 से लेकर संध्या 5.12 तक राखी बांध सकती है. उन्होंने बताया कि इस बार अशुभ काल माने जाने वाले राहूकाल रक्षा बंधन के दिन यानी 26 अगस्त को 4.30 बजे से शुरू होकर संध्या 6 बजे तक रहेगा. इसलिये यह समय अशुभ है और उक्त समय में बहने अपने भाइयों को राखी ना बांधे, क्योंकि इस दौरान राखी बांधने या पावन कार्य करने का शुभ फल नहीं मिलता है.

डॉ. त्रिवेदी ने बताया कि इस बार पवित्र त्यौहार रक्षा बंधन के दौरान पूर्णिमा तिथि शनिवार की संध्या 3.17 से आरम्भ होकर दूसरे दिन रविवार की संध्या 5.26तक रहेगी. यानी इस बार 25 अगस्त को पूर्णिमा तिथि आरम्भ होने के बावजूद राखी का त्यौहार 26 अगस्त को मनाया जायेगा. क्योंकि 26अगस्त को सूर्योदय काल में पूर्णिमा तिथि होने से इस दिन को भी पूर्णिमा तिथि मानी जाएगी. जबकि शनिवार को पूर्णिमा तिथि के साथ भद्रा भी लगेगी. शनिवार को चतुदर्शी तिथि में सूर्योदय होगा इसलिए शनिवार को रक्षा बंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधते समय बहन को पूरब दिशा की तरफ मुख करके ‘येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल: तेनत्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि रक्षा बंधन त्यौहार का कई पौराणिक और इतिहासिक मान्यताएं है. इतिहास के अनुसार राखी बांधने की प्रथा की शुरूआत राजस्थान से हुई है, जिसके अनुसार मेवाड़ की महारानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं की कहानी जुडी है. कहा जाता है कि महारानी कर्णावती ने अपने पति की रक्षा के लिए मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजी थी और हुमायूं ने राखी की लाज रखते हुए कर्णावती के पति को जीवनदान दिया था. राखी बांधने की परम्परा तभी से हुई है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप मैं अपने आँचल का टुकड़ा बांधा था और तभी से रक्षा बंधन के त्यौहार की शुरुआत हुई है. हाल की घटनाओं पर नजर डाले तो महान कवि गुरु सह नोबल विजेता रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाल के विभाजन के दौरान हिंदू-मुस्लिम के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ाने के लिए रक्षाबंधन मनवाया था. रवीन्द्रनाथ टैगोर ने हिंदू और मुसलमानों को एक दूसरे को राखी बांधने के लिए प्रोत्साहित किया था,ताकि शान्ति और सौहार्द कायम रह सके.

Last updated: अगस्त 24th, 2018 by News Desk

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