Site icon Monday Morning News Network

सभी धर्म व जाति के लोगो ने हर्षोल्लास के साथ मनाया रक्षाबंधन का त्यौहार

सभी जाति और धर्म के लोगों ने मनाया रक्षा बंधन

सभी जाति और धर्म के लोगों ने मनाया रक्षा बंधन

रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्रेम का त्यौहार है,

जब एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी का धागा बांधती है,

तो भाई उसके जीवन में आने वाली सारी परेशानीयों में उसका साथ निभाने का वचन देता है,

दूसरी ओर बहन भी भाई की लंबी आयु के लिये उपवास रखती है और ईश्वर से प्रार्थना करती है.

इसलिए यह त्यौहार वर्तमान में बहन-भाई के प्यार का पर्याय बन चुका है,

जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाला पर्व है.

बहुत मनोरम होता है वह क्षण …

रक्षाबंधन के मौके पर जब पूजा की थाली में भाई को बांधने के लिए राखी, तिलक करने के लिए कुंकु व अक्षत, नारियल, मिठाई,

सिर पर रखने के लिए छोटा रुमाल अथवा टोपी, इसके अलावा गिफ्ट, उपहार या नगदी, आरती उतारने के लिए दीपक सजती है,

तो इससे मनोरम दृश्य शायद ही ब्रह्माण्ड में कहीं देखने को मिले.

इसी भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक पर्व को सोमवार को पुरे देश  में भी सभी धर्म व जाती के लोगो ने हर्षोल्लास के साथ मनाया.

बहनों ने भाइयों के कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प दिलाया. तो भाइयो ने भी निष्ठापूर्वक वचनबद्धता दिखाई.

मुहूर्त के हिसाब से ही अधिकतर बहनों ने राखी बांधी

सोमवार को सुबह से ही भाई अपनी बहनों के घर जाने के लिए निकल पड़े.

इस बार रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार की सुबह 11:04 मिनट से दोपहर 1:52 तक ही था.

चंद्रग्रहण का ग्रहण रक्षा बंधन पर नहीं लग पाया

लोगों ने चंद्रग्रहण होने के कारण रक्षाबंधन का पर्व सुबह को ही मनाया.

चूँकि चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पूर्व सूतक लग जाता. इसलिय सुबह लोगों ने स्नान आदि के बाद तैयार होकर बहनों से कलाई पर राखी बंधवाई.

राखी बांधने से पहले बहनों ने भाइयों का मुंह मीठा किया और तिलक लगाया. भाइयों ने बहनों की रक्षा का संकल्प लिया.

राखियों और मिठाइयों से सजा रहा बाजार

शहर से लेकर गाँव तक मिठाईयों की दुकानें सजी हुई थीं. बहनों ने मिठाई और राखी की दुकान पर जमकर खरीदारी भी की.

दिन-भर गहमा-गहमी का माहौल बना रहा

सुबह बाइक से बहनें अपने भाई के घर गईं तो कहीं-कहीं भाइयों ने बहनों के घर जाकर राखी बंधवाया.

जिन भाइयों की बहनों का घर दूर था, वे शुभ मुहूर्त में राखी बंधवाने को एक दिन पहले ही बहन के घर पहुंच गए.

पूरे दिन रक्षा का पर्व धूमधाम से मनाया गया. खासकर बच्चो में रक्षाबंधन का उल्लास देखने को मिला.

भाइयों ने बहनों की लंबी उम्र के लिए दुआये मांगी. इस दौरान हर जगह चहलपहल रही.

इस अवसर लोग मंदिर जाकर भगवान पूजन अर्चना भी किए.

रक्षाबंधन पर बहन से राखी बंधवाने के बाद लोगों ने खीर, पूड़ी, मालपूवा आदि परंपरागत पकवानों को छककर खाया.

“रक्षा ” से बना रक्षा बंधन

अपने भाई को राखी बांधती बहन

रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ रक्षा का बंधन होता है, जिससे भाई अपनी बहन को हर मुश्किल से रक्षा करने का वचन देता है.

बहनें अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. इस त्यौहार को राखी पूर्णिमा के तौर पर भी जाना जाता है.

यह त्यौहार हिंदू चंद्र कैलेंडर के श्रावण माह में पूर्णचंद्र के दिन होता है, जिसे पूर्णिमा कहा जाता है.

धर्म निरपेक्ष त्योहार है रक्षा बंधन

रक्षाबंधन एक धर्मनिरपेक्ष त्यौहार है, जिसे पूरे देश में हर राज्य, जाति और धर्म के व्यक्ति हर्षोल्लास के साथ मनाता है.

विदेशों में भी मनाया जाता है रक्षा-बंधन

भारत के अलावा राखी मॉरीशस और नेपाल में भी मनाई जाती है.

सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा है रक्षा बंधन

जानकारों की माने तो रक्षाबंधन का इतिहास काफी पुराना है जो सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है।

रक्षाबंधन की परंपरा उन बहनों ने डाली थी जो सगी नहीं थीं

भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो,

लेकिन उसकी बदौलत आज भी इस त्योहार की मान्यता बरकरार है.

इसके साथ जुडे धार्मिक और ऐतिहासिक कई उदाहरण सुनने को मिलते हैं

जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल को मारा तो युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की उंगली कट गयी और उससे खून बहने लगा,

इसे देखकर द्रोपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की उंगली में बांध दिया,

जिससे उनका खून बहना रुक गया. माना जाता है कि तभी से कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन मान लिया.

द्रोपदी को बहन मानने की वजह से ही भगवान कृष्ण ने उसकी रक्षा उस समय किए जब किसी ने उनका साथ नहीं दिया था.

जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था, तब कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचाई थी.

कर्णावती ने हुमायूँ को भेजा था राखी

एतेहासिक मान्यता कहती है कि रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जिसका इतिहास करीब 6 हजार साल पुराना है,

रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला साक्ष्य रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं से जुड़ा हुआ है.

कहा जाता है कि जब मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था,

तब चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा

की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख हुमायूं को राखी का धागा भेजी थी.

तब हुमायू ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था.

तभी से पूरे देश में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है.

-जहांगीर आलम , असनसोल (सदस्य, मंडे मॉर्निंग संपादकीय सलाहकार समिति)

Last updated: अगस्त 24th, 2017 by Pankaj Chandravancee