कोरोना की इस भयानक त्रासदी में कई लोगों की जान चली गई है तो कइयों का रोजगार छीन गया हैं। कई लोगों का व्यवसाय ही पूरी तरह चौपट हो गया हैं तो कही लोगों ने आर्थिक दबाव में आत्महत्या कर ली हैं। इस बीच धनबाद जिला के निजी विद्यालय ने बिना उचित शिक्षा दिए हुए ही अनैतिक शुल्क उगाही कर रहे है। शिकायत की लंबी कतार है लेकिन कार्यवाही कुछ भी नही।
मार्च,20 से ही सभी निजी विद्यालय बंद हैं। अच्छे से पढ़ाई नहीं हो पा रही है। कई घरों में ना स्मार्ट फोन है और ना ही इंटरनेट। तब ऑनलाइन शिक्षा की बात करना बईमानी हैं। लेकिन ऐसे परिस्थिति में भी निजी विद्यालय कई मद में शुल्क वसूलने से बाज नहीं आ रहे हैं। घर में खाना बने या ना बने, बच्चे के लिए ऑनलाईन क्लास के लिए मोबाइल रिचार्ज़ अभिभावको को करवाना हि पड़ता है। पिछले वर्ष झारखंड सरकार ने एक आदेश पारित करते हुए सभी निजी विद्यालयों को यह निर्देश दिया था कि बिना कोई शुल्क बढ़ाए केवल मासिक शिक्षण शुल्क ही ले। अगर किसी कारणवश कोई अभिभावक मासिक फीस भी नहीं देते है तो बच्चे का शिक्षण ना रोका जाय। परंतु कई निजी विद्यालयों के खिलाफ शिकायत का अंबार यह बताने को पर्याप्त हैं की आदेश का अनुपालन नहीं हो पाया।
अब वर्तमान शैक्षणिक सत्र में 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक शिक्षण शुल्क में बढ़ोत्तरी करते हुए निजी विद्यालयों ने मानवता की हद पर कर दी हैं। इस संबंध में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 का अनुपालन नहीं हो पा रहा हैं। रांची के तर्ज़ पर धनबाद में भी “शिक्षन शुल्क निर्धारण जिला समिति जल्द से जल्द बने ” इसी मांग के साथ आज झारखंड अभिभावक संघ के धनबाद जिलाध्यक्ष कैप्टन प्रदीप मोहन सहाय ने उपायुक्त से मिलकर सभी समस्याओं को रखा। सभी मांगों को जानकारी लेने के बाद उपायुक्त ने भरोसा दिया है कि इस संबंध में जल्द ही उचित दिशा निर्देश जारी कर दिया जाएगा। उपायुक्त के आश्वासन पर कैप्टन सहाय ने प्रसन्नता जाहिर किया हैं। कार्यक्रम में संघ के तरफ़ से मनोज सिन्हा, प्रेम सागर, भुषन एवं जितेन्द्र जमुआर आदि मौजूद थे।