इंसानियत और दरिया दिली का बेजोड़ मिश्रण
सलानपुर -यदि आपका भी पुलिस पर से भरोसा उठ रहा है, तो चौरंगी पुलिस पोस्ट के इंचार्ज मैनुल हक की ये दरिया दिली पढ़कर आप अपनी धारणा बदलने पर मजबूर हो सकते हैं। ख़ाकी के अंदर इंसानियत और दरिया दिली का बेजोड़ मिश्रण देखना हो तो चौरंगी के इंचार्ज मैनुल हक से मिलिए, न्याय के लिए अपने दफ्तर तक फरयदियों के आने का इंतज़ार नहीं करते, ख़ुद दौड़-दौड़कर मदद करते रहते हैं। श्री हक़ की दरिया दिली के एक नहीं तमाम क़िस्से चौरंगी क्षेत्र के आसपास के गाँव के लोगों से सुनने को मिले। उन्होंने आसपास रहे सभी लोगों को अपने काम से दीवाना बनाया, एक अलग ही चित्र देखने को मिला चौरंगी में। आज जहाँ लोग पुलिस के खिलाफ नारे बाजी दिखाकर जमकर हंगामा करते है कुल्टी थाना के चौरंगी फांड़ी प्रभारी मईनुल हक का तबादला रोकने के लिए स्थानीय गाँव वाले फांड़ी घेराव कर नारे बाजी किये। इस संबंध में बताते चलें कि हाल ही हर आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के हर थाना व फांड़ी के अधिकारियों का विभागीय तबादला हो रहा है, जिसमें चौरंगी फांड़ी के इंचार्ज का भी नाम है। उन्हें चौरंगी से पंजाबी मोड़ के फांड़ी में तबादला किया गया है।
तबादला रोकने के लिए फांड़ी को घेर लिए ग्रामीण
स्थानीय लोगों को इसकी खबर मिलते ही आसपास के सैकड़ों गाँववाले उनकी तस्वीर लिए रैली करते हुए फांड़ी पहुँचे गए और श्री हक़ का तबादला रोकने के लिए नारे बाजी करने लगे लोग कह रहे थे “सबके दिल में मैनुल साहेब आपको जाने नहीं देंगे, नहीं देंगे।” लेकिन चौरंगी के इंचार्ज मैनुल हक ने सभी लोगों को समझा-बुझाकर उन्हें शान्त कराया। साथ ही गाँव वालों ने फुल का गुलदस्ता देकर व माला पहनाकर उन्हें सन्मानित किया। स्थानीय एक चायवाला विधान गोराई ने हक़ साहब के दारिया दिली की बात कहते हुए रो पड़ा। उसने कहा कि में पहले इधर-उधर मजदूर का काम करते थे लेकिन चौरंगी फांड़ी के इंचार्ज हमारे भगवान है। मईनुल साहब ने हमें एक चाय का दुकान लगा दिया। जो हमारे रोजीरोटी का जरिया बन गया। उन्होंने बताया कि मैनुल साहेब गरीबों के मशीहा है, आसपास रहने वाले सभी गरीब परिवार को मदद के लिए पहुँच जाते है।
सब के साथ भाई-भाई के तरह रहते है हक़ साहब
आज हिन्दू मुस्लिम को लेकर इतना हंगामा मचा हुआ है, एक मुस्लिम ऑफिसर होकर उन्होंने किसी को अलग आँखों से नहीं देखा, वो हिन्दू मुस्लिम सब के साथ भाई-भाई के तरह रहते है। फांड़ी परिसर में स्थित काली मंदिर में जाकर आरति भी करते थे। सबके आँखों में वो एक मसीहा के तरह रहे, किसी के साथ कभी भी कोई दूर व्यावहार नहीं किया। कभी भी किसी को परेशानी हो तो उन्हें खाली हाथ नहीं घुमाते थे। चौरंगी में मैनुल साहब के वाहन चालक धनंजय बाउरी ने बताया कि मैं चौरंगी में सात साल से पुलिस का गाड़ी चला रहा हूँ लेकिन मैनुल साहेब जैसा अधिकारी मैंने नहीं देखा, उन्होंने सभी को अपने भाई कि तरह समझा। कभी भी किसी प्रकार का असुविधा होने नहीं दिए। इस संबंध में कॉन्स्टेबल, सीपीवीएफ आदि सभी का कहना है कि मैनुल सर का डाटना, उनका प्यार हमारे लिए एक स्मृति बनके रह गया। हमलोगों चाह रहे कि इनके जाने के बाद जो अधिकारी आये उनका व्यव्हार भी ऐसा ही रहे।