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दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए योजनाएँ बनती रही लेकिन स्थिति जस की तस

रानीगंज। पश्चिम बंगाल के प्रमुख नदियों में से एक नदी दामोदर नदी भी है। इस नदी के किनारे सैकड़ों बड़े शहर उद्योग धंधा स्थापित है वहीं इस नदी के पानी से सिंचाई और पीने का पानी का मुख्य सूत्र सूत्र है।

एक दशक पहले ही सर्वेक्षण के तहत इस दामोदर नदी के जल को जहरीला बता दी गई थी तब से इस नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए योजनाएँ बनती रही लेकिन आज भी स्थिति का है। एक तरफ इस नदी के किनारे होने वाली दाह संस्कार एक कारण है वहीं दूसरी ओर इस नदी के आसपास से निकलने वाली छोटी बड़ी उद्योग सेजहरीली प्रदूषित जल आदि है ।ल, जो इस नदी में मिल जाती है ।इसके रोकथाम के लिए योजनाएँ बनती रही लेकिन योजना मात्र कागजी बनकर रह गई। रानीगंज शहर का प्रमुख नालों से निकलकर दामोदर में मिलने वाली प्रदूषित पानी का दृश्य आज भी खुली आँखों से देखी जा सकती है । यह सब जानते हैं लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। हालांकि आज नगर निगम रानीगंज बोरो कार्यालय में जानकारी लेने की कोशिश की लेकिन इस कदर से स्थिति बनी हुई है कि कोई भी कुछ भी कहने से इनकार करते हैं।

इस क्षेत्र के पंचायत प्रधान विधान मंडल ने कहा कि यह स्थिति मात्र रानीगंज की नहीं है। रानीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स के महासचिव अरुण भारतीय एवं अध्यक्ष प्रदीप बाजोरिया ने कहा यह पहला अवसर है जब हम लोगों को इस प्रकार से सचित्र दिखाई जा रही है मुझे दुःख है। निगम का गठन होते ही इस विषय को गंभीरता से लेंगे।

दामोदर नदी पश्चिम बंगाल और झारखंड में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। यह नदी छोटा नागपुर की पहाड़ियों से 610 मीटर की ऊंचाई से निकलती है, जो लगभग 290 किमी का सफर झारखंड में तय करती है। उसके बाद पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर 240 किमी का सफर तय करके हुगली नदी में मिल जाती है ।

दामोदर नदी पलामू जिले से निकलकर हजारीबाग, गिरीडीह, धनबाद होते हुए बंगाल में प्रवेश करती है, जहाँ रानीगंज, आसनसोल के औद्योगिक क्षेत्र से होती हुई बांकुड़ा बर्द्धमान जिले की सीमा रेखा बन जाती है।बाद में हुगली जिले में दामोदर नदी समतल मैदानी भाग में पहुँचती है।हुगली के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

Last updated: फ़रवरी 16th, 2022 by Raniganj correspondent