झरीया। झरिया भूधँसान क्षेत्रों में रहनेवाले लोग उस समय बेसस हो जाते है जब लागातार बारिश हो जाता है तब उनके घरों के ईर्द गिर्द जहरीला गैस के बीच लोगों की सांसे लेने में भी तकलीफ होने लगती है, और ऐसे में उनके दर्द को सुननेवाला न तो बी.सी.सी.एल है और न ही जिला प्रशासन।
लिलोरिपथरा निवासी शंभु राम ने बताया कि इस आग के ढेर पर रहना मेरी बेबसी है। कई बार बी.सी.सी.एल जरेडा के तहत सर्वे कर खानापूर्ति किया गया, लेकिन आज लिलोरी पथरा के लोगों को न तो बेलगढिया में पुनर्वास दिया गया, न ही यहाँ से भेजने की प्रक्रिया की गई। कई बार धनबाद उपायुक्त को भी आवेदन देकर यहाँ से हटाने की अपील की, लेकिन भला ये लोग दूसरे के दर्द को क्या समझे। ये तो इंसानों के ठेकेदार सिर्फ पेन और पेपर तक ही सिमित रहते हैं। जिला प्रशासन से लेकर बीसीसीएल तक सिर्फ बड़ी घटना के इंतिजार में बैठे रहते है, जैसे ही इस आग के मुहाने में कोई जमिनदोज हुइ तो, सीर्फ खानापूर्ति के लिये भीड़ का हिस्सा बन जाते हैं ये लोग। आलम यही रहा तो लिलोरी पथरा में कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
दीपक कुमार, धनबाद