चौपारण प्रखंड में आज कल झाड़ फूंक का प्रचलन इतनी तेजी से फैल रहा है कि गांव के लोग कुछ भी होने पर डॉक्टर के जगह ओझा से मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान करवाते हैं। ओझा लोगो का यह खेल सप्ताह में दो दिन मंगलवार और शनिवार को अपने अंधविश्वास में डूबे भक्तों से मिलकर एवं बड़ी राशि लूटकर अंजाम दिया जाता है। यदि किसी को साँप काट लें तो उसकी इलाज की पहली प्राथमिकता डॉ ना होकर एक ओझा होता है। किसी को अगर बुखार आ जाए, लू लग जाए या सर्दी खांसी हो जाए तभी लोग डॉक्टर को छोड़कर एक ओझा के पास ही जाते हैं। कईयों ओझा की भनक चौपारण के थाना प्रभारी को मिल चुकी है। इस अंधविश्वास की कड़ी को तोड़ने के लिए अभी और ना जाने कितना समय लगेगा। लोग कब जागरूक होंगे कब वह आपना जानो माल की हिफाजत सही तरीके से कर पाएंगे। अंधविश्वास में डूबे भक्तों को इतनी डर बनी हुई रहती हैं कि झाड़-फूंक के दौरान मरीज सही हो या ना हो वह ओझा के खिलाफ नहीं जा सकते हैं। लोगों का कहना है कि अगर बाबा के खिलाफ जाएंगे तो बाबा हमें सराफ दे देंगे। जिसके कारण हमारी मृत्यु तक हो सकती है। इसी का भय लोगों में बना हुआ है एवं अशिक्षित होने के कारण भी लोग जागरुक नहीं हो पा रहे हैं जिसका फायदा हर एक गांव में ओझा या बाबा उठा रहे हैं।
चौपारण प्रखंड में अंधविश्वास में डूबे लोग साँप काटने पर डॉक्टर के जगह ओझा को देते हैं पहली तरजीह

Last updated: जून 13th, 2022 by