लोगों ने अपने-अपने घरों में मनाया अनंत चतुर्दशी का व्रत , क्यों और कब से मनाया जाता है अनंत चतुर्दशी
भारतीय संस्कृति में अनंत चतुर्थी का विशेष स्थान माना जाता है। प्रत्येक पर्व परंपरा के अनुसार लोग धूमधाम से इसे मनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से तमाम पर्व त्यौहार का स्वरूप सीमित होकर रह गया है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी परंपरा के अनुसार अनंत चतुर्दशी का पर्व रानीगंज अंचल में भी मना, घरों एवं मंदिरों में भक्त पूजा अर्चना करते देखे गए।
पंडित प्रमोद कुमार ने पूजा अर्चना के दरमियान कहा कि इस पर्व में मंदिरों में अनंत चतुर्दशी का पूजा होती थी, सैकड़ों लोगों का भीड़ हुआ करता था, आज लोग बड़े ही सादगी रूप से मना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भादो माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी कहा जाता है। इसे अनंत चौदस भी कहते हैं। इसे भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है, इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है। इसी दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है। इसलिए इस तिथि का और भी महत्त्व माना गया है। 2020 में अनंत चतुर्दशी का तिथि 1 सितंबर को मंगलवार के दिन पड़ रही है।
जानते हैं पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त,क्यों और कब सेे मनाया जाता है अनंत चतुर्दशी
इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को 14 वर्षों तक लगातार करने से मनुष्य विष्णु लोक को प्राप्त करता है। इस व्रत में भगवान विष्णु के अनंत अवतारों की पूजा की जाती है, इसलिए यह व्रत अनेकों गुना अधिक फलदायक माना गया है। इस दिन सर्वप्रथम पांडवो ने व्रत किया था। जब महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों ने जुआ खेला था, तब उनका सारा धन नष्ट हो गया। तब उन्होंने भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हुए उपाय पूछा, तब श्रीकृष्ण जी ने कहा कि जुआ खेलने के कारण लक्ष्मी तुमसे रुठ गई हैं। अनंत चतुर्दशी के दिन आपको भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। तभी से यह व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं।
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