दुर्गापुर -किसी भी राज्य के विकास के लिए वहाँ के औद्योगिक क्षेत्र की भूमिका सर्वोपरि होती है, लेकिन इसके बीच यह भी महत्त्वपूर्ण है कि किसी भी उद्योग का गठन के साथ वहाँ के पर्यावरण और वातावरण की स्थिति पर भी ध्यान केंद्रित किया जाए, क्योंकि पर्यावरण को नुकसान होने से सभी जीवो को खतरा हो सकता है. भारतीय अर्थव्यवस्था में पश्चिम बंगाल छठे स्थान पर है, यहाँ के प्रमुख औद्योगिक गढ़ कोलकाता, हल्दिया, आसनसोल, दुर्गापुर और खड़कपुर पर केंद्रित है.
बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डब्लूपीसीबी के सहयोग से मंगलवार को सिटी सेंटर के एक निजी होटल में औद्योगिक क्षेत्र में वातावरण की स्थिरता पर चर्चा सत्र का आयोजन किया गया. इसके पहले संस्करण 10 फरवरी 2017 को दुर्गापुर में आयोजित किया गया था. औद्योगिक क्षेत्र में विशेष रूप से विश्व के कुछ देशों में जैसे विविधा नीति संबंध में औद्योगिक निरीक्षण की अनदेखी के कारण इसमें खतरा बना रहता है. संसाधनों का शोषण धुएँ के उत्सर्जन में सावधानीपूर्वक योजनाओं की कमी और उत्पादों के तरल अपशिष्ट पर्यावरण में वापस जाकर बढ़ते हैं,
जिसमें पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य में जोखिम का खतरा बना रहता है. बंगाल चैंबर का मानना है कि औद्योगिक क्षेत्र में पर्यावरण के अनुरूप प्रभावों को कार्य करने से इस पर अन्य को संबोधित करने के लिए समय की आवश्यकता है.पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. कल्याण रूद्र ने परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि औधोगिक क्षेत्रों में विशेष रूप से विश्व के कुछ देशों में जैव विविधता नीति के संबंध में औधोगिक निरीक्षणों की अनदेखी की गई है.