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कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर ढाह दिया गया यह गाँव

सालानपुर। विगत 2012 से ग्रामीणों के साथ चल रहे ईसीएल सालानपुर की जमीन अधिग्रहण की लड़ाई में आखिरकार एसीएल जीत के साथ सामडीह ग्राम पंचायत अंतर्गत 46 घरों की बस्ती पहाड़गोड़ा का अस्तित्व हमेशा के लिए मिट गया।

कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर गाँव के एक-एक घर को ढाह दिया गया

भारी संख्या में तैनात पुलिस बल

गुरुवार को कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर पहुँचे जिला प्रशासन की अगुवाई में गाँव के एक-एक घर को बुलडोजर से ढाह दिया गया। सुबह 10 बजे दंडाधिकारी तपन सरकार एडीसीपी(वेस्ट)अनामित्रा दास, एसीपी(वेस्ट)संतोब्रोतो चंद, सालानपुर थाना प्रभारी पवित्र कुमार गांगुली, तथा ईसीएल मुख्य सुरक्षा अधिकारी राजा पॉल ने नेतृत्व में पूरा गाँव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। जिसमें ईसीएल सुरक्षा बल, सीआईएसएफ, रेफ, के लगभग 300 से भी अधिक जवान गाँव की मोर्चा संभाला रहे थे।

पुलिसिया कार्यवाही को देखते हुए पूरा गाँव रणक्षेत्र में तब्दील रहा, इस दौरान गाँव के मुकुंद लाल राय के घर पर पहला अभियान चलाया गया किन्तु किसी भी हाल में मुकुंद लाल रॉय घर छोड़ने को तैयार नहीं थे। मुकुंद लाल की पुत्री मिठू रॉय पुलिस पर विफर पड़ी और देखते ही देखते गाँव रणक्षेत्र बन गया। इधर पुलिस ने इसी बीच उग्र ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया। घटना में पुलिस ने 8 लोगों को हिरासत में ले लिया और बल पूर्वक बारी-बारी सभी घर को तोड़ा गया।

गाँव के 46 परिवार में से 34 परिवार ने मुआवजा लेकर घर और जमीन खाली कर दिया जबकि 12 परिवार संघर्ष करते रहे

अपने छोटे से मंदिर को ले जाती महिला

मामले को लेकर ईसीएल सूत्रों की माने तो मोहनपुर कोलियरी विस्तारीकरण के लिए गाँव को अधिग्रहण किया गया है। गाँव के 46 परिवार में से 34 परिवार ने सहमति से मुआवजा लेकर घर और जमीन खाली कर दिया।

12 परिवार मुकुंद लाल रॉय, नारायण चंद्र रॉय, शंभूनाथ रॉय, रामानुज रॉय, चिन्मय रॉय, अल्पना रॉय, चैतन्य रॉय, किष्णेन्दू रॉय, लीला रॉय, दामोदी रॉय, शांतिपदों रॉय, बिनीतो गोपाल रॉय, ईसीएल पर रंगदारी का आरोप लगाते हुए घर और जमीन को किसी भी हालत में खाली करने को तैयार नहीं थे।

लंबी लड़ाई के बाद उच्च न्यायालय के आदेश पर 12 परिवार की कुल मुआवजा राशि 2 करोड़ 84 लाख 60 हजार 516 रुपये ईसीएल ने न्यायालय में जमा कर दिया। साथ ही उच्च न्यायालय ने जिला प्रशासन को गाँव को खाली करने का निर्देश जारी करते हुए रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। जिसके आलोक में पुलिस द्वारा विगत एक सप्ताह पूर्व से ही गाँव खाली करने के लिए माइकिंग किया जा रहा था।

ग्रामीणों ने ईसीएल पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2019 के रेट से मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है। मुआवजा कि राशि कोर्ट में जमा करा दिया गया है। प्रबंधन को स्वयं चेक देना चाहिए।

ग्रामीणों ने पुलिसिया कार्यवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ईसीएल की सह पर प्रशासन अंधी हो चुकी है। कार्यवाही के विरुद्ध हाईकोर्ट से ही स्टे ऑर्डर लिया गया है। किंतु प्रशासन मानने को तैयार नहीं है। ग्रामीणों ने राज्य सरकार से लेकर ईसीएल की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की ।

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Last updated: अगस्त 22nd, 2019 by Guljar Khan