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जीएसटी: अभी तो शुरुआत है.

भारी ताम-झाम और राजनीतिक बयानबाजियों के बीच भारत में आखिर जीएसटी लागु हो ही गया वो भी 1 जुलाई की मध्य रात्रि से.

भारत में नयी शुरूआत के लिए मध्य रात्रि को ही चुना जाता है क्योंकि हमारा देश भी मध्य रात्रि को ही आजाद हुआ था.

अर्थनीति के जानकार जीएसटी को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर मान रहे हैं तो कुछ व्यापारी वर्ग लगातार हड़ताल और विरोध प्रदर्शन किये जा रहे हैं. उधर कांग्रेस जीएसटी को लेकर अपना दावा ठोक रही है कि जीएसटी उसने लाया है.

आइये जानते हैं भारत में जीएसटी लागु होने का पूरा इतिहास ➫

कांग्रेस अपने शासनकाल में जीएसटी लागु नहीं कर पायी

इसकी सबसे प्रमुख वजह थी राज्यों से मिलने वाला गतिरोध.

अपने पूरे शासनकाल में कांग्रेस राज्यों में आम सहमती नहीं बनवा पायी .

राज्यों की अपनी समस्याएं थी

मोदी सरकार ने निकाला रास्ता

कई अड़चनों को मिटाने के बाद आखिर जीएसटी यदि पास हो पाया तो इसके लिए वर्तमान सरकार एवं उसके मुखिया नरेन्द्र मोदी निस्संदेह बधाई के पात्र हैं.

वर्तमान जीएसटी अभी अपने आरम्भिक दौर में है तथा आने वाले समय में इसमें कई और सुधार होने है.

आने वाले दौर में टैक्स स्लैब में कमी आ सकती है.  केवल एक टैक्स स्लैब में जाने में अभी समय लगेगा.

अभी अड़चने बाकी है

पूरा कर सुधार इस बात पर निर्भर करेगा कि जीएसटी लागु होने के बाद से कालाबाजारी पर कितनी रोक लगेगी. क्योंकि एक अनुमान के मुताबिक भारत की वास्तविक सकल घरेलु उत्पाद का बड़ा हिस्सा कालाबाजारी के जरिये लागों के पास जमा हो जाता है. 

यदि कालाबाजारी और टैक्स की चोरी रूकी तो इससे सरकार की होने वाली आय में अप्रत्याशित वृद्धि होगी।

1986 में जब न्यूजीलैंड में पहली बार जीएसटी लागु की गयी तो वहाँ की सरकार को अनुमानित आमदनी से 45 प्रतिशत अधिक आमदनी प्राप्त हुई थी .

भारत में जीएसटी लागु हो जाने से सकल घरेलु उत्पाद में 24 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।

यदि जीएसटी से सरकार की आय में बढ़ोत्तरी हुई तो इससे सरकार का वित्तीय घाटा कम होगा और देश के विकास में तेजी आयेगी.

व्यापार स्थापित करने में भी आसानी होगी तथा विदेशी निवेशक भी आकर्षित होगी. 

टैक्स स्लैब में और भी कमी की जा सकेगी

अभी न्युनतम टैक्स 5 प्रतिशत तथा अधिकतम 28 प्रतिशत है. इस अंतर को कम किया जा सकेगा.

कुल मिलाकर देश और जनता को जीएसटी से फायदा ही होगा.

लेकिन यदि कालाबाजारी और टैक्स चोरी रोकने में कामयाबी नहीं मिली तो फिर यह पूरे देश के लिए एक अभिशाप सिद्ध होगा.

Last updated: सितम्बर 1st, 2017 by Pankaj Chandravancee