रमजान माह के शुरूआती दिनों से ही रोजेदार रोजे रख रहे हैं। कहाँ जाता है कि अगर किसी चीज का यकीदा आप दिल से कर ले, तो आप उसे मुकम्मल कर ही लेते हैं। इतनी भीषण एवं चिलचिलाती गर्मी होने के बावजूद रोजेदार रोजा रख रहे हैं। रमजान का महीना रहमत, बरकत व गुनाहों की मगफिरत का महीना है। इस महीने में इंसानों की रहनुमाई के लिए अल्लाह ने कुरान शरीफ पाक किताब नाजिल फरमाई है। रोजेदार पूरा महीना रोजा रखते हैं कुरान की तिलावत करते हैं एवं तरावी शरीफ की नमाज अदा करते हैं।
कमलवार मदरसे के हाफिज हदीस ने कहा कि रोजा गुनाहों को खा जाती है और नेक कामों की तरफ ले जाती है। रोजा हर बालिग इंसानों पर फर्ज किया गया है। इसलिए सभी को रोजा रखनी चाहिए। रमजान में इबादत करने वालों की नेकिया बढ़ा दी जाती है। नफील का सवाब सुन्नत के बराबर है। सुन्नत के फर्ज के बराबर और फर्ज की नेकीय सत्तर गुना बढ़ा दी जाती है।
हाफिज हदीस ने कहा कि अब रमजान का महीना कुछ दिन ही और बची हुई है। कमलवार, केसठ, जगदीशपुर, केवला जैसे गाँव में तरावी शरीफ की नमाज अब मुकम्मल होने वाली है। 40 रुपया प्रति व्यक्ति सदका ए फितर निकालने का ऐलान किया गया है।