कनकनी कोलियरी में संचालित आउटसोर्सिंग कम्पनी हिलटॉप का काम गुरुवार को रैयत ग्रामीणों बन्द कर दिया। रैयतों ने चक्का जाम का एक बैनर लेकर आउटसोर्सिंग स्थल पहुँचे और कम्पनी का काम बन्द करा दिया।
काम बन्द होते ही कम्पनी की तमाम वाहन जहाँ तहाँ खड़ी हो गई। बीसीसीएल पर 78 बीघा जमीन हड़पने और उसे बर्बाद करने का आरोप है। चक्का जाम की अगुवाई कर रहे दिलीप रवानी की माने तो कनकनी मौजा में कुल 190 एकड़ जमीन है।
इसमें से 78 बीघा जमीन मदनाडीह एवं कनकनी के ग्रामीण रयतो की है। जमीन की तमाम कागज़ात मौजूद रहने के बावजूद बीसीसीएल कोर्ट में केस किया है। और जमीन पर काम भी कर रहा है। जमीन पर कोयले का उत्पादन कर खेती लायक जमीन को बर्बाद कर दिया। मछली पालन करने वाले सुंदर तालाबों को नष्ट कर दिया गया। ग्रामीणों को जमीन के बदले न नौकरी मिली और न ही मुआवजा।
ग्रामीण बीसीसीएल के बाबुओं एवं कोर्ट का चक्कर लगा रहे है। सन 2012 से बीसीसीएल ने एक मुकदमा दायर कर उलझाया है।और दूसरी तरफ जमीन पर काम भी कर रहा है।आखिर रैयत इंसाफ के लिए कौन सा दरवाजा खत खटाये। दिलीप की माने तो इस समय कम्पनी जिस जमीन पर काम कर रही है वह 5,58 एकड़ जमीन रैयत की है। चक्का जाम करने वाले रैयतों को लोयाबाद थानेदार रमेशचंद्र सिंह सदल बल समझाने बुझाने में लगे हुए हैं। बंदी करने वालों में मंटू महतो दिलीप रवानी मिलन सिंह अजय कुमार अशोक कुमार आदि लोग शामिल थे। इधर वार्ता का दौर भी चल रहा है। सिजुआ एरिया मैनेजर सर्वे आशुतोष कुमार परमजीत रंजन भूसंपदा पदाधिकारी रैयतों से बात करने में लगे हुए हैं।
सांसद को भी कुछ नहीं समझ रही है बीसीसीएल
रैयतों के का दावा है कि कनकनी मौजा में 78 बीघा जमीन रैयतों का है। इसमें 125 डिसमिल जमीन स्व सरामाश्रय सिंह व सिधेश्वर सिंह का है। दोनों के वंशज हर्ष सिंह एवं मिलन है। इस मामले को औरंगाबाद सांसद सुशील सिंह बीसीसीएल से पैरवी कर चुके हैं। फिर भी मामला अब सुलझ नहीं पाया है।
ज्ञात हो कि सांसद सुशील स्व सिधेश्वर सिंह के दामाद हैं। मिलन सिंह ने कहा कि सन 2007 से बीसीसीएल के बाबुओं के चक्कर काट रहे है। मुआवज़े की बजाय 2012 में बीसीसीएल ने मुकदमा दायर कर दिया। और जमीन को कानूनी पचड़े में डालकर कोयला निकाल रही है।