रानीगंज । रानीगंज चैंबर ऑफ कामर्स के कार्यकारिणी समिति की आपातकालीन बैठक बुलायी गयी। इस बैठक में कार्यकारिणी के लगभग सभी सदस्य उपस्थित थे। लगभग एक घण्टे तक चली कार्यकारिणी समिति की बैठक में सचिव ओमप्रकाश केजरीवाल को असहयोग का आरोप लगाते हुए उनके पद से हटा दिया गया। यह घोषणा चैंबर के अध्यक्ष संदीप भालोटिया ने कार्यकारिणी समिति के समक्ष की। उन पर आरोप लगाया गया कि वे मनमानी करते थे, अपने मनमाने ढंग से चैंबर में दखल अंदाजी करते रहे ।
उज्जवल मंडल को बनाया गया सचिव
कोयलाञ्चल शिल्पाँचल के सुप्रसिद्ध व्यवसायिक संगठन रानीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स एक है। इस संस्था में इस प्रकार की घटनाक्रम को लेकर पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है। सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष संदीप भालोटिया के कार्यप्रणाली को लेकर केजरीवाल अंकुश लगाते रहते थे उसी का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।
मैं चैंबर के अनैतिक कार्यों का विरोध करता हूँ। इसी कारण मुझे हटाया गया है – ओमप्रकाश केजरीवाल
सचिव ओमप्रकाश केजरीवाल ने कहा कि मैं चैंबर के अनैतिक कार्यों का विरोध करता हूँ। इसी कारण मुझे हटाया गया है। यह चैंबर के इतिहास में काला अध्याय है। बिना किसी सठीक कारण दर्शाएं, बिना किसी कारण बताओ नोटिस जारी किए ही मुझे पद से हटा दिया गया। उन्होंने बताया कि मैं पिछले कई वर्षों से रानीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स का सेवा कर रहा हूँ और मैं चुनकर चैंबर का सचिव बना हूँ। आने वालेेे समय में चैंबर ऑफ कॉमर्सस के सदस्य इसका जवाब देंगे तानाशाह तोो किसी नहीं चली है। वर्तमान में अपने आप को फोकस करने के लिए अध्यक्ष भालोटिया जी नेेे षड्यंत्र और आपातकालीन बैठक बुलाकर इस प्रकार का निर्णय को लेकर बाहर हाल प्रश्न उठने लगा है लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि वयोवृद्ध एवं चैंबर के दिग्गज सदस्यगण भी इस विषय को लेकर कोई आवाज नहीं उठा रहे हैंं इसको प्रश्न उठाया जाा रहा।
हटाये जाने की प्रक्रिया पर उठा रहे हैं सवाल
हालांकि चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य रोहित खेतान ने यह प्रश्न अवश्य उठाया है कि इस प्रकार से रानीगंज चैंबर ऑफ कॉमर्स इतिहास में कभी नहीं हुआ जब बिना कारण बताओ नोटिस के सचिव पद से सचिव को हटा कर दूसरे सचिव को बना दिया गया हो। यहाँ के परंपरा के अनुसार यदि केजरीवाल को हटाना ही था तो उन्हें मौका देना चाहिए था। अध्यक्ष संदीप भारतीय ने कहा कि जो कुछ भी कदम उठाया गया संवैधानिक तरीके से ही उठाया गया सर्वसम्मति से उन्हें सचिव बनाया गया था और सर्वसम्मति से ही उन्हें पद से बर्खास्त किया गया।