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वृद्ध बोझ नही है, आशिर्वाद है – मुकुंद साव

आज का बृद्ध समाज अत्यधिक कुंठाग्रस्त है और सामान्यत: इस बात से सर्वाधिक दुखी है कि जीवन का विशाल अनुभव होने के बावजूद कोई उनकी राय न तो लेना चाहता है और न ही उनकी राय को महत्व ही देता है। इस प्रकार अपने को समाज में एक तरह से निकम्मा और निष्प्रयोज्य समझे जाने के कारण वृद्ध समाज काफी दुखी रहता है। उक्त बाते आज एक स्थानीय समस्या के समझौता हेतु आयोजित गोष्ठी में उपभोक्ता संरक्षण समिति झारखंड प्रदेश के महामंत्री जनसेवा संस्था के सचिव तथा गुड गवर्नेंस मिशन ऊंच न्यायालय झारखंड के उतरी छोटा नागपुर प्रमंडल के संयोजक सांसद प्रतिनिधि मुकुंद साव ने कहा उन्होंने कहा कि वृद्ध समाज को इस दुख और संत्रास से छुटकारा दिलाना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने बुजुर्गो के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार और अन्याय को समाप्त करने के लिए तथा लोगो को जागरूक करने के लिए 14 दिसंबर 1990 को यह निर्णय लिया कि हर साल 1 अक्तूबर को विश्व वृद्ध दिवस अथवा विश्व बुजुर्ग दिवस अथवा विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस, अथवा विश्व प्रौढ़ दिवस, विश्व दादा दादी, नाना नानी दिवस मनाकर बुजुर्गो को उनका सही स्थान दिलाने की कोशिश करेंगे।मुकुंद साव ने कहा कि बुजुर्ग बोझ नहीं है आशीर्वाद है, इसे हर युवा, युवती, पुत्र पुत्री, बहु,पोता पोती, नाती नतिनी को समझने की जरूरत है। उपभोक्ता संरक्षण समिति के प्रदेश महामंत्री ने कहा कि आज के तथाकथित युवा युवती तथा ऊंच शिक्षा प्राप्त पीढ़ी अपने माता-पिता, दादा- दादी को बूढ़ा कहकर बृद्धा आश्रम में छोड़ देते है।

Last updated: अक्टूबर 1st, 2022 by Aksar Ansari