कोयला मंत्रालय द्वारा अपने अधिकारियों पर सख्त कदम उठाते हुये, सीएमडी को डिमोट करने के बाद अब तकनीकी निदेशक को भी डिमोट कर दिया गया है। लेकिन उन अधिकारियों पर भी करवाई होनी चाहिए जो निविदा के तहत कम्पनी को करोड़ो की चूना लगा रहे है। खदानों में बिना कार्य किये हुए पैसा का भुगतान करा देना या अन्य निविदा में घोटाला करना आम बात हो गयी है।
ऐसे कोल अधिकारियों पर भी शिकंजा कसना जरूरी हो गया है। बीसीसीएल के सीएमडी और तकनीकी निदेशक पर कार्यवाही के बाद साफ दिखाई दे रहा है कि कोयला मंत्रालय भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को नहीं छोड़ेगा। लेकिन कोलकर्मियों के आवास रिपेरिंग में बाथरूम, किचन में टाइल्स लगाने, पानी टँकी लगाने जैसे कार्यों में व्यापक अनियमितता देखने को मिल रही है।
सिविल विभाग में तो व्यापक घोटाला है, उस पर भी कोयला मंत्रालय को जाँच कराकर करवाई करनी चाहिए। झारखंड कोलियरी श्रमिक यूनियन के ईसीएल जोन के अध्यक्ष उमेश गोस्वामी कहते है कि कोयला मंत्रालय की करवाई सही है, लेकिन ईसीएल के मुगमा क्षेत्र एवं पांडेश्वर क्षेत्र के सिविल विभाग समेत सभी क्षेत्रों के सिविल विभाग में व्यापक भ्र्ष्टाचार के साथ कम्पनी को चुना लगाया जा रहा है। उस पर भी कार्यवाही होनी चाहिए, ताकि सरकारी संपति की रक्षा हो सके और भ्रष्ट अधिकारियों पर करवाई हो सके।