प्रधानमंत्री और उनकी टीम देश से मांगे माफ़ी – मनीष तिवारी

बुधवार को कांग्रेस मुख्यालय में एक संवादाता सम्मेलन में कांग्रेस प्रवक्ता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भाजपा पर जमकर हमला किया एवं नोटबन्दी के लिए देश से माफी मांगने की बात कही । साथ ही काला धन, राफेल डील सहित कई मुद्दों पर भजपा को घेरा।

नोटबन्दी से देश को कोई फायदा नहीं हुआ

कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बहुत ही सनसनीखेज घोषणा की थी, उन्होंने कहा था कि आज रात 12 बजे से 500 और 1,000 रुपए के नोट बेदखल कर दिए गए हैं। मनीष ने कहा आपने पुरानी फिल्म मुग़ल-ए देखी होंगी किस तरह से बादशाह बेदखल कर देता था, उसी तरह से 500 और 1,000 रुपए के नोट को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 8 नवंबर, 2016 की रात को बेदखल कर दिया। उन्होंने बताया कि 15.44 लाख करोड़ रुपया इस तुगलकी फरमान के कारण घंटों में डिमोनेटाईज हो गया और छह महीने बाद जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने उस सारी प्रक्रिया का मूल्यांकन किया तो, उन्होंने पाया कि उस 15 लाख 44 हजार करोड़ रुपए में से 15 लाख 28 हजार करोड़ रुपया बैंकों में वापस आ गया है।

अब इस नोटबंदी या नोट बदली या तुगलकी फरमान, आप इसको कुछ भी नाम दे दीजिए, इसके तीन मकसद सरकार ने बताए कि इससे आतंकवादी गतिविधियों में जो पैसा खर्च होता है, उसके ऊपर रोक लगेगी। फर्जी जो नोट हैं अर्थव्यवस्था में, उनको निकाला जाएगा और कालाधन, कालाधन जो बाहर से वापस लेकर आना था, 15 लाख रुपए में तक्सीम करके सबके खातों में जमा करना था, वो सारा कालाधन भारत की अर्थव्यवस्था से हम निकाल देंगे। ये तीन उद्देश्य थे मोदी जी के। अब उसके डेढ़ साल बाद आर.बी.आई. की रिपोर्ट आई है, उसके हिसाब से 15.41 लाख करोड़ रुपए को डिमोनेटाईज किया गया था और उसमें से 15.31 लाख करोड़ रुपया बैंकों में वापस आ गया है।

तो कुल मिलाकर इस सारी नोटबदली का कुल नतीजा ये हुआ कि 10,000 करोड़ रुपया डिमोनेटाईज किया गया और जो बड़े-बड़े उद्देश्य सरकार ने लोगों के सामने रखे थे, उसकी असलियत ये है कि सिर्फ 7.6 लाख नोट के पीसेस, मतलब 500 व 1,000 रुपए के नोट नकली पाए गए। 2015-16 में बगैर नोटबंदी के, बगैर नोटबदली के ऐसे नकली नोटों की संख्या 6.3 लाख थी। कुल मिलाकर जो कालाधन सरकार अर्थव्यवस्था से निकाल पाई और इसका अभी कोई फाईनल एडज्यूडिकेशन नहीं हुआ है, वो 28,000 करोड़ रुपया बनता है और प्रधानमंत्री जी ने लाल किले की प्राचीर से घोषणा कर दी कि हमने तीन लाख करोड़ रुपया कालाधन अर्थव्यवस्था से बाहर किया है।

कैसे प्रमाणित करेंगे कि आतंकवादी संगठनों को जो पैसा जाता है, वो बढ़ा है या घटा है?

इसके अलावा जो एक उद्देश्य और बताया गया था कि इससे आतंकवादी संगठनों को जो पैसा जाता है, उसके ऊपर रोक लगेगी। अगर आपको याद हो तो हम उस समय भी ये कहते थे कि सरकार के पास क्या कोई ऐसे आंकड़े हैं, जो इस कथन को प्रमाणित करते हैं कि 8 नवंबर, 2016 से पहले कितना पैसा आतंकवादी संगठनों को जाता था? और जब आपके पास वो आंकड़ा ही नहीं है, तो नोटबंदी या नोटबदली के बाद आप ये कैसे प्रमाणित करेंगे कि आतंकवादी संगठनों को जो पैसा जाता है, वो बढ़ा है या घटा है?

तुगलकी फरमान था नोटबन्दी

तो कुल मिलाकर ये जो तुगलकी फरमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जारी किया था, उससे भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। जो छोटे और लघु उद्योग थे, वो आज तक इसकी मार से उसकी भरपाई नहीं कर पाए हैं। करोड़ों लोगों की नौकरियाँ चली गई। भारत की अर्थव्यवस्था की जो जीडीपी है, उसे डेढ़ प्रतिशत का धक्का लगा है और डेढ़ प्रतिशत एक साल में लगभग दो लाख पच्चीस हजार करोड़ रुपया बनता है और इसके अलावा 100 से अधिक लोगों की बैंकों की लाईन में खड़े होकर जान चली गई।

देश से माफी मांगे प्रधानमंत्री

तो हम प्रधानमंत्री जी से पूछना चाहते हैं कि इस इतनी भयानक त्रासदी की जिम्मेदारी किसकी बनती है? प्रधानमंत्री जी को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कोई और मुल्क होता, अगर प्रधानमंत्री में रत्ती भर भी नैतिकता होती तो वो अपने पद से इस्तीफा दे देते। पर ये इनसे उम्मीद करना तो कुछ ज्यादा होगा, प्रधानमंत्री को इस देश से माफी मांगनी चाहिए कि जिस तरह से उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था के ऊपर सर्जिकल स्ट्राईक की थी।

क्या सरकार द्वारा घोषित राशि में अदालतों, डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंकों और भूटान, नेपाल में जमा पैसा शामिल नहीं है, इसके उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि आरबीआई ने जो आज रिपोर्ट जारी की है, उस रिपोर्ट में उन्होंने ये भी कहा है कि ये जो 15.31 लाख करोड़ रुपया जो बैंकिंग व्यवस्था में आया है, जो लगभग 99.30 प्रतिशत बनता है, जो रकम डिमोनेटाईज की थी उसका, उसमें वो पैसा शामिल नहीं है जो जाँच ऐजेंसियों ने किसी जाँच के दौरान अपने कब्जे में लिया था। इसमें वो पैसा शामिल नहीं है जो डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंकों ने लोगों से लिया था और डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंकों से आरबीआई ने नहीं लिया है। तो कुल मिलाकर जब इसका पूरा सच बाहर आएगा, इस तुगलकी फरमान का, तो हो सकता है कि जो 15 लाख 41 हजार करोड़ रुपया, 15.41 लाख करोड़ जो डिमोनेटाईज किया था, कहीं उससे ज्यादा पैसा सरकार के खाते में ना आ जाए और इसमें वो पैसा भी शामिल नहीं है जो शायद नेपाल और भूटान में पड़ा हुआ है। तो प्रधानमंत्री जी को इस मुल्क से, इस मुहम्मद बिन तुगलक फरमान के लिए माफी मांगनी चाहिए।

नोटबन्दी के तीन उद्देश्य पूरे नहीं हुए

एक प्रश्न के उत्तर में मनीष तिवारी ने कहा कि 8 नवंबर, 2016 से इस मंच से हम निरंतर और लगातार कहते रहे हैं कि जो तीन उद्देश्य सरकार ने नोटबंदी के या नोटबदली के मुल्क के सामने रखे थे, वो तीनों उद्देश्य सरकार पूरा नहीं कर पाई है और जैसे-जैसे आंकड़े आते गए, वैसे-वैसे परतें खुलती गई। ये बात बिल्कुल साफ होती रही कि नोटबंदी -नोटबदली करने से पहले सरकार ने इसके ऊपर गहराई से विचार नहीं किया। आज तक देश को ये बात नहीं मालूम है कि क्या कैबिनेट की मंजूरी लेकर ये नोटबंदी या नोटबदली की गई? क्या नोटबंदी और नोटबदली करने के बाद फैसला लेने के बाद पोस्ट-फैक्टो कैबिनेट की मंजूरी ली गई? आज तक ये भी बात देश को नहीं मालूम। कई अटकलें आज तक लगती आ रही हैं कि पूरी कैबिनेट को कैबिनेट रुम में बंद कर दिया गया था। एक बहुत ही विचित्र, बहुत ही अजीब और अटपटे तरीके से इस सारी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, इसको क्रियांवित किया गया और जो-जो इसके लिए जिम्मेदार हैं, प्रधानमंत्री से लेकर जो आरबीआई के आला अधिकारी हैं, उन सबको इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और देश से माफी मांगनी चाहिए।

किसी भी मंत्री को अपने मंत्रालय के संबंध में जिम्मेदारी नहीं है

देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा राफेल मुद्दे पर दिए बयान पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि ये बहुत ही अद्धभुत और विचित्र सरकार है। इस सरकार में जो वित्त मंत्री हैं वो रक्षा मामलों के ऊपर सलाह देते हैं; जो रक्षामंत्री हैं, वो वित्त मंत्रालय के अधीन जो मामले आते हैं, उनके ऊपर वक्तव्य देती हैं; जो कानून मंत्री हैं, वो कानून के सिवाय बाकी हर मुद्दे पर बोलते हैं और प्रधानमंत्री हैं वो किसी भी जरुरी मामले पर नहीं बोलते हैं। इसलिए संसदीय प्रणाली में सामूहिक जिम्मेवारी की जो एक परम्परा मानी जाती है, उसको इन्होंने पूरी तरह से पुर्नपरिभाषित कर दिया है। इनकी परिभाषा में सामूहिक जिम्मेदारी का मतलब है कि किसी भी मंत्री को अपने मंत्रालय के संबंध में जिम्मेदारी नहीं है (Collective responsibility means that no Minister has responsibility with regard to his own Ministry). ये परिभाषा है इनकी कलेक्टिव रेस्पॉन्सिबिलिटी की।

मुद्दे को भटकाने के लिए वित्त मंत्री राफेल के ऊपर देश के नाम अपना संदेश देते हैं

ये बहुत ही एक विचित्र बात है, ठीक उस समय जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया नोटबंदी के जो अपडेटेड आंकड़े हैं, उनको सार्वजनिक कर रही थी, जो शायद इस सरकार की सबसे बड़ी असफलता है और वित्त मंत्री की, वित्त मंत्रालय की सीधी- सीधी जिम्मेदारी बनती है। ठीक उसी समय मुद्दे को भटकाने के लिए वित्त मंत्री राफेल के ऊपर देश के नाम अपना संदेश देते हैं। ये सारी बात लोकसभा में क्यों नहीं कही? अविश्वास प्रस्ताव के दौरान क्यों नहीं कही? राज्यसभा में क्यो नहीं कही गई? उस दिन कहने की क्या जरूरत पड़ गई, जिस दिन आरबीआई नोटबंदी और नोटबदली का जो सच है, जो कड़वा सच है, वो देश के सामने उजागर कर रही थी और हम सरकार को कहना चाहते हैं कि अगर आप पाक- साफ हैं, अगर आप कुछ नहीं छुपाना चाहते, अगर आप समझते हैं कि जो आपने किया है वो बिल्कुल सही किया है तो, आप संयुक्त संसदीय समिति की मांग मानने के लिए क्यों तैयार नहीं हैं? हम एक बार फिर से इस मंच से दोहराना चाहते हैं कि इस सारे राफेल मामले की जाँच एक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा होनी चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

राहुल गांधी के मानसरोवर यात्रा पर कोई जवाब नहीं

एक प्रश्न पर कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इस महीने के अंत तक या अगले माह मानसरोवर यात्रा के लिए जा सकते हैं, श्री तिवारी ने कहा कि जैसे आपको मालूम है कि कांग्रेस में एक परंपरा है, जब कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यक्रम तय होता है तो, उनका दफ्तर उसको सार्वजनिक करता है। तो जब उनका कोई भी कार्यक्रम बनता है वो आपके समक्ष रखा जाता है और उचित समय पर अगर कार्यक्रम बनेगा तो आपके समक्ष रखा जाएगा। उनका दफ्तर उस कार्यक्रम को सार्वजनिक करता है, उसको औपचारिक तौर से जारी करता है। तो उस चीज की आप प्रतिक्षा कीजिए।

एन डी ए की सरकार आरएसएस चला रही है

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के दिए बयान पर पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि जहाँ तक यूपीए की सरकार का ताल्लुक था, मैं उस सरकार में मंत्री रहा हूँ और मैं इस बात को दावे से कह सकता हूँ कि यूपीए की सरकार, यूपीए के प्रधानमंत्री और यूपीए की कैबिनेट चलाती थी और जहाँ तक एनडीए- भाजपा सरकार का संबंध है, तो ये बात जगजाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का राजनीतिक विंग है। The BJP is the political wing of the RSS. और ये बात मैं नहीं कह रहा, अक्सर जो भाजपा के प्रवक्ता हमें आप ही लोगों के टी.वी. चैनल पर मिलते हैं, वो निजी तौर पर हमसे ये बात कहते हैं। तो जब कोई संगठन या कोई राजनीतिक दल और उस राजनीतिक दल से उत्पन्न हुई सरकार एक नागपुर स्थित संगठन का राजनीतिक विंग है तो राहुल गाँधी ने जो कहा है वो बिल्कुल ठीक कहा है।

एक अन्य प्रश्न पर कि ऐसे वक्त पर रिजर्व बैंक के आंकड़े आना, जब महाराष्ट्र में बहुत सारे एक्टिविस्ट, जर्नलिस्ट को गिरफ्तार किया जा रहा है और दूसरी तरफ आप लोग राफेल डील को लेकर सवाल उठा रहे हैं, क्या ये सरकार की तरफ से मामले को भटकाने की कोशिश की जा रही है, श्री तिवारी ने कहा कि रिजर्व बैंक की रिपोर्ट हर साल 30 अगस्त को आती है। तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जो उनकी एक परंपरा है, जो उनका कैलेंडर है, उसके तहत अपनी रिपोर्ट जारी की है। तो इसमें षडयंत्र ना देख कर जो उसका मूल है कि किस तरह से नोटबंदी के माध्यम से इस देश की जनता को प्रताड़ित किया गया और उसके लिए किसकी जिम्मेदारी बनती है, ये बुनियादी सवाल है और हम सरकार से मांग करना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री और उनकी सारी सरकार जिस तरह से उन्होंने लोगों को प्रताड़ित किया था, उसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे।

डॉलर और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं

डीजल के दाम आज तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुँचने और पेट्रोल- डीजल के हर रोज बढ़ते दामों पर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि आपने बहुत ही गंभीर बात कही है। पेट्रोल व डीजल आसमान छुता जा रहा है, लेकिन सरकार को जनता की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है और आज जो रुपया है वो डॉलर के मुकाबले 70.52 पर है, जो रुपए का सबसे नीचला स्तर है।

अर्बन(शहरी) नक्सलियों के खिलाफ जो सबूत हैं वो अदालत में रखें

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा है कि अर्बन नक्सल के नाम पर विचारधारा की लड़ाई है, उसको दबाने की एक कोशिश है, जाँच ऐजेंसियों का कहना है कि जो गिरफ्तारियाँ हुई हैं, उसके पुख्ता सबूत हैं और प्रधानमंत्री जी की हत्या का षडयंत्र रचा जा रहा था, इसके भी सबूत है, तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस का क्या स्टेंड है, श्री तिवारी ने कहा कि पुख्ता जो सबूत हैं, वो उच्चतम न्यायालय मांग रहा है ना, तो वो उच्चतम न्यायालय के समक्ष रख दीजिएगा, जो भी पुख्ता सबूत हैं।

 

संवाद सूत्र – रिजवान रजा, नई दिल्ली

Last updated: अगस्त 30th, 2018 by Central Desk - Monday Morning News Network

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