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पीएम मोदी ने रवांडा के आदर्श गांव के निवासियों को गायें भेंट की

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रवांडा सरकार के गिरिंका कार्यक्रम के तहत उन ग्रामवासियों को 200 गायें भेंट की जिनके पास अभी तक एक भी गाय नहीं थी। गायें भेंट करने का यह कार्यक्रम रवांडा के राष्‍ट्रपति पॉल कागमे की उपस्थिति में रुवरू आदर्श ग्राम में आयोजित किया गया। पीएम मोदी ने इस अवसर पर गिरिंका कार्यक्रम और इसके लिए राष्‍ट्रपति कगामे द्वारा की गई पहल की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि सुदूर रवांडा के गाँव में आर्थिक समृद्धि के लिए गायों के महत्‍व को देखकर भारत के लोगों को भी सुखद आश्‍चर्य होगा। उन्‍होंने इस मौके पर भारत और रवांडा के ग्रामीण जीवन में कई तरह की समानता का भी जिक्र किया।

गिरिंका शब्‍द का अर्थ है कि ‘क्‍या आप गाय रख सकते हैं’। यह रवांडा में सदियों से चली आ रही एक प्रथा है जिसके तहत सम्‍मान और सद्भावना के रूप में एक व्‍यक्ति दूसरे व्‍यक्ति को गाय भेंट करता है।

राष्‍ट्रपति पॉल कागमे ने रवांडा में बच्‍चों में कुपोषण के खतरनाक स्‍तर और गरीबी से निपटने तथा पशुधन एवं कृषि को एक साथ लाने के लिए गिरिंका की पहल की थी। यह कार्यक्रम इस अवधारणा पर आधारित है कि गरीबों को दुधारू गाय उपलब्‍ध कराने से उनकी आजीविका में बदलाव आएगा, गाय के गोबर से तैयार उर्वरकों के इस्‍तेमाल से कृषि उत्‍पादन बढ़ेगा, जिससे मिट्टी की गुणवत्‍ता में वृद्धि होगी तथा इसमें घास और पेड़ लगाए जाने से भूक्षरण में कमी आएगी।

गिरिंका कार्यक्रम 2006 में शुरू किया गया था। तब से लेकर अब तक हजारों लोगों को गायें दी जा चुकी हैं। जून 2016 तक कुल 248,566 गायें गरीब परिवारों को दी गई। इस कार्यक्रम से रवांडा में कृषि उत्‍पादन में बढ़ोत्तरी हुई है और खासतौर से दूध उत्‍पादन तथा डेरी उत्पाद बढ़ा है, गरीब परिवारों की आय बढ़ी है और कुपोषण के मामले घटे हैं।

गिरिंका कार्यक्रम ने रवांडा के लोगों के बीच एकता, परस्‍पर विश्‍वास और सद्भाव को भी बढ़ाया है क्‍योंकि इसके तहत एक व्‍यक्ति द्वारा दूसरे व्‍यक्ति को सम्‍मान स्‍वरूप गायें भेंट की जाती है। हालांकि गिरिंका का मुख्‍य उद्देश्‍य गाय भेंट करना नहीं है लेकिन समय के साथ यह कार्यक्रम का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बन चुका है। रवांडा सरकार के एक अधिकारी के अनुसार गिरिंका कार्यक्रम के तहत खासतौर से उन गरीब परिवारों को लक्षित किया गया है जिनके पास गाय नहीं है, लेकिन अपनी जमीन है जिसमें वे गायों के लिए घास उगा सकते हैं। इस कार्यक्रम के लाभार्थियों के लिए यह जरूरी है कि वे व्‍यक्तिगत रूप से या अन्‍य लोगों के साथ‍ मिलकर गायों को रखने के लिए जगह बना सकें।

Last updated: जुलाई 24th, 2018 by News Desk