Site icon Monday Morning News Network

आवारा पशुओं की गिरफ्त में नेशनल हाईवे, दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण, प्रशासन मूकदर्शक

आसनसोल/सालानपुर। हेलमेट और सीट बेल्ट नही पहनने पर चालान, ओवर लोड पर जुर्माना, सड़क पर चलने के लिए टोल टैक्स, उपरोक्त सभी व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए सड़क पर पुलिस, ट्रैफिक पुलिस, एमवीआई, आरटीओ, जीएसटी के साथ एनएचएआई के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर मुस्तैद रहते है।

समय समय पर ट्रैफिक जागरूकता के लिए कार्यक्रम किया जाता है। किंतु कोई भी महानुभाव सड़क के आवारा पशुओं को लेकर कुछ नही कहते, अगर एक शब्द में कहा जाए की राजमार्ग पर सबसे अधिक दुर्घटना आवारा पशुओं के कारण होती है, तो शायद यह गलत नही होगी।

डिबुडीह चेकपोस्ट से लेकर रानीगंज तक सड़क पर आए दिन आवारा पशुओं का मेला लगा रहता है।

राजमार्ग पर प्रतिदिन वाहन चलाने वाले एक चालक ने बताया कि दोनों लेन के बीच मे जो खाली स्थान है, वहाँ गाये चरती रहती है इस दौरान वो अचानक सड़क पर आ जाती है,

ऐसे में पशुओं को बचाने के चक्कर में वाहन अनियंत्रित हो जाती है और दूसरे वाहनों से टक्कर हो जाती है, उन्होंने कहा कि सबसे अधिक सड़क हादसा और मौत का कारण आवारा पशु है।

चालकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि मालवाहक वाहन पर एक किलो अधिक भार होने से एमवीआई दबोच लेती है, सिग्नल और ट्रैफ़िक नियम तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस दबोच लेती है,

सड़क की नुकसान रोकने और मेंटेनेंस के लिए एनएचएआई है, एक एक किलोमीटर चलने के लिए टोल टैक्स देना पड़ता है, कच्चे मालवाहक वाहनों से जगह जगह पुलिस पैसा वसूलती है, किन्तु इन आवारा पशुओं को लेकर कोई कानून और नियम नही है।

अमूमन ऐसे हादसों में सभी पॉवरफुल लोग और प्रशासन आँख मूंद लेते है, अलबत्ता इन्हीं कारणों से सड़क पर दुर्घटना अब आम बात हो गई है।

हालांकि ऐसी दुर्घटनाओं की फेहरिस्त में पशु पालकों की भूमिका भी आपराधिक है जो अपने पशुओं को आवारा छोड़ देते हैं,

जिसमें डिबुडीह, दामागोड़िया, सबनपुर, चौरंगी, मेलाकोल, चंद्रचूड़ आदि क्षेत्रों सबसे अधिक आवारा पशुओं का राजमार्ग पर मेला लगा रहता है, क्या दुर्घटना होने के बाद पशु मालिकों को चिन्हित कर मुकदमा दर्ज नही होना चाहिए? जरा सोचियेगा।

अगली बार पुलिस की ट्राफ़िक जागरूकता शिविर में सड़क पर विचरण कर रहे आवारा पशुओं पर सवाल भी पूछियेगा।
जनवरी 2020 में जारी पशुधन जनगणना के आंकड़ों के अनुसार भारत में 5 मिलियन से अधिक आवारा मवेशी हैं।
आवारा मवेशी राजमार्ग से लेकर शहरी क्षेत्रों में यातायात में बाधा बनते हैं और अक्सर सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।

Last updated: सितम्बर 24th, 2023 by Guljar Khan