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नर्मदा आंदोलन के प्रणेता मेधा पाटकर की चित्तरंजन में निजीकरण के विरुद्ध हुंकार

चित्तरंजन/सालानपुर। संग्रामी श्रमिक युनियन के बैनर तले निजीकरण के विरुद्ध जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता सह नर्मदा बचाओं अभियान के प्रनेता मेधा पाटकर ने गुरूवार को रूपनारायनपुर डाबर मोड़ से रेलनगरी चित्तरंजन के तीन नम्बर गेट तक रोड शो किया। संग्रामी श्रमिक युनियन का नेतृत्व करते हुए मेधा पाटकर ने रूपनारायणपुर के डाबर मोड़ से लगभग तीन किलोमीटर तक पैदल रोड शो करते हुए रेलनगरी चित्तरंजन के प्रवेश द्वार तीन नम्बर गेट पहुंची जहां पूर्व से मौजूद आरपीएफ व चित्तरंजन पुलिस ने बैरिकेडिंग कर जाम कर रखा था। गेट को बंद करने से आंदोलन कारियों में गुस्सा फुट पड़ा और सभी ने बैरिकेडिंग को हटाने के लिए आरपीएफ से धक्का मुक्की भी हुए। हालाकि मेधा पाटकर ने आंदोलनकारियों को शांत कर जमीन पर बैठ गई। कुछ देर बाद चिरेका डीजीएम ने तीन नम्बर गेट पहुंच कर मेधा पाटकर से वार्ता किया और तीन प्रतिनिधिमंडल को चिरेका महाप्रबंधक सतीश कुमार कश्यप से मिलने और ज्ञापन सौपने की पेशकश किया। परंतु मेधा पाटकर और जन आंदोलन कारियों ने तीन प्रतिनिधिमंडल की बात को ठुकरा दिया। इसके उपरांत पांच लोगों के प्रतिनिधिमंडल पर महाप्रबंधक से वार्ता करने और ज्ञापन सौपने पर बात बनी। तीन नम्बर गेट से महाप्रबंधक कार्यालय तक चिरेका के वाहन से मेधा पाटकर सहित पांच लोगों को ले जाया गया। महाप्रबंधक से वार्ता कर और ज्ञापन सौपकर कार्यालय से बाहर निकल कर मेधा पाटकर ने बताया कि महाप्रबंधक से बात हुई, एक एक मुद्दे पर सभी श्रमिकों ने अपनी बात रखी। वार्ता में महाप्रबंधक ने कहा कि हम कोई निजीकरण के तरफ नही बढ़ रहे है। पाटकर ने बताई कि हमने पुछा कि हमारी जानकारी में है कि टाटा के लोग चिरेका में आये थे उस पर महाप्रबंधक ने कहा कि नही ऐसी कोई बात नही है। हमने पुछा कि तीन हजार श्रमिकों को गुजरात के दाउद भेजने की तैयारी चल रही है इस महाप्रबंधक ने कहा नही। इन बातो को हम मान रहे है क्योकि महाप्रबंधक कोई राजनेता नही है जो झुठे आश्वासन देगें। अगर महाप्रबंधक ने झुठे आश्वासन दिया है तो हम संघर्ष के रास्ते पर जायेगें। ठेका श्रमिक की तरफ से हाकिम भाई ने बात की तो महाप्रबंधक ने कहा कि हम देखेंगें। पाटकर ने कहा कि ठेका श्रमिक का मजदूरी 350 से 500 रूपये तक केन्द्र सरकार के नियमो के तहत है परन्तु उन्हे मिलती है 300 सौ रूपया। इसलिए सरकार चाहती है कि हम ठेका श्रमिक से कार्य कराये। सरकार ठेका श्रमिक से चलाना चाहती है ताकि प्रॉफिट अधिक हो। हम सार्वजनिक उद्योग का प्रॉफिट रोकना नही चाहते है। पर ठेका श्रमिक का शोशन हो इसका हम विरोध करते है। खाली पद होने के बाद भी उन पर भर्ती नही होने के प्रश्न पर महाप्रबंधक ने कहा कि ऐसा नही होता है लेकिन हेल्पर जैसे पद पर नही भर्ती करना चाहते है यह महाप्रबंधक ने साफ तौर पर कही। ऐसेम्बल होने के सवाल पर महाप्रबंधक ने कहा कि ऐसा नही होता है। मेधा पाटकर ने कहा कि सच और झूठ को पता करने के लिए और गहराई में जाना होगा। न्यू पेंशन स्कीम पर महाप्रबंधक ने कहा कि यह हमारे हाथ में नही है जो उपर से आदेश होता है उसका हम पालन करते है। मेधा पाटकर ने कहा कि हम मानते है कि मेनेजमेंट कभी हेल्पलेश होती है। इससे पूर्व मेधा पाटकर ने रूपनारायणपुर के डाबर मोड़ में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान बचाने के लिए हमलोगों को एक होना पड़ेगा। वर्तमान केन्द्र सरकार श्रमिकों के अधिकार को कुचलने का काम कर रही है। सरकार हम दो हमारे दो पर चल रही ही है। अडानी अंबानी सरकार चला रही है। पूंजीपतियों की सरकार है। हमारे मजदूरी का लाभ बड़े बड़े पूंजीपति को दिया जा रहा है। पूंजीपतियों के करोड़ो रूपया लोन माफ कर दिया जा रहा है और श्रमिकों पर अतिरिक्त कर लगाकर वसूलने का कार्य किया जा रहा है। देश को आजादी दिलाने वाले सभी धर्म जाति के लोगों का योगदान रहा है। परंतु अभी देश को धर्म में बांटने का कार्य राजनीतिक के तहत किया जा रहा है। रेलवे कर्मचारियों की छंटनी किया जा रहा है। रेलकर्मी के बुढ़ापे की सहारा बनने वाले पेंशन को खत्म किया जा रहा है। चित्तरंजन रेल कारखाना में जहां 18 हजार कर्मी कार्य करते थे आज नौ हजार पर आ गई है। चित्तरंजन कारखाना केवल एसेम्बल कारखाना बन कर रह गई है। हमारा आन्दोलन संविधान को बचाने के लिए है। हमारा आंदोलन से चित्तरंजन महाप्रबंधक डर गये है। हमें चित्तरंजन रेलनगरी में प्रवेश करने से रोका जा रहा है। हम कोई राजनीतिक दल नही है हम श्रमिक के हित और संविधान को रक्षा करने के लिए है। रेल प्रशासन को झुकना पड़ेगा जैसे दिल्ली में हमारे किसान आंदोलन से सरकार झुकी और अपना कानून को वापस लिया। हम झुकेगें नही हम निरंतर श्रमिकों के हित में अपना आंदोलन करते रहेगें। सरकार के नीतियों से मजदूर संघर्ष कर रहे है। बैलगाड़ी पर सरकार टैक्स लगा रही है परंतु पूजिपतियों का टैक्स माफ कर रही है। हम एक जूट होकर संविधान के तहत श्रमिकों को दिए गये अधिकार की रक्षा करते रहेगें। हमें नक्सली कहा जाता है हम जल जंगल जमीन के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगें। देश सभी का है हमारे पूर्वज महात्मा गांधी, चन्द्रशेखर आजाद, सिदु कान्हू आदि देश भक्तो ने देश के लिए सहिद हुए। ताकि देश के लोग आपस में मिल जुल कर खुशहाल रह सके। लेकिन आज देश को अमीरी गरीबी में बांटने का कार्य किया जा रहा है।

Last updated: दिसम्बर 8th, 2022 by Guljar Khan