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ना निकले अखाड़े, ना झांकी, सिमट गया दशको का इतिहास

अखाड़ा का दौरा करते भाजपा प्रतिनिधि मंडल

काला फीता लगाकर अखाड़ा समिति ने जताया विरोध

कुल्टी -दशकों से रामनवमी के मौके पर कुल्टी में दर्जनों महावीर अखाड़ा के साथ ही रावण दहन अनुष्ठान चला आ रहा है। जिसे कुल्टी की पहचान भी कहा जाता है। लेकिन इस बार दशकों पुराने इतिहास पर राज्य सरकार के निर्देश पर पुलिस-प्रशासन ने रोक लगा दी, जिससे कुल्टी के लोगों में मायूसी और नाराजगी एक साथ देखि गई। केंदुआ महावीर अखाड़ा समिति ने काला फीता लगाकर शांतिपूर्ण विरोध जताया, कोई झांकी भी नहीं निकाली गई, ऐसा पहली बार हुआ कि कुल्टी के करीब 15 महावीर अखाड़ा अपने-अपने क्षेत्र में ही निकला, जबकि हर बार भव्य तरीके से इसका आयोजन होता था और सभी समुदाय के लोग इसका भरपूर आनन्द उठाते थे।

राम जी अपनी सेना के साथ नहीं जाएँगे तो कैसे होगा रावण का वध

हालाँकि कुल्टी पुलिस ने रावण का पुतला दहन कार्यक्रम की अनुमति दी थी, लेकिन अखाड़ा समितियों ने कहा कि जब श्री राम अपनी बानर सेना के साथ नहीं जा पाएंगे तो रावण का वध कैसे होगा, इस तर्क के साथ सभी महावीर अखाड़ा समितियों ने इस बार अखाड़ा नहीं निकाला और रावण दहन कार्यक्रम भी स्थगित कर दिया। मालुम हो कि रामनवमी के दिन अन्नपूर्णा देवी की पूजा के एक सप्ताह बाद कुल्टी में भव्य तरीके से अखाड़ा और रावण का पुतला दहन कार्यक्रम का आयोजन दशकों से किया जाता रहा है,

रानीगंज-आसनसोल का हिंसा बनी बाधा

लेकिन इस बार रामनवमी के अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा रानीगंज और आसनसोल में निकाले गए जुलूस में भड़काऊ गाना बजाने को लेकर विहिप और मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच हिंसा फ़ैल गई थी, जिसे ध्यान में रखते हुए सुरक्षा और शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए कुल्टी पुलिस ने सभी महावीर अखाड़ा को सड़क पर आकर अखाड़ा खेलने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण इसबार आयोजन स्थगित कर दिया गया।

हम अपने त्यौहार भी नहीं मना पा रहे

रविवार की देर संध्या आपने अपने क्षेत्र में अखाड़ा निकाला गया जहाँ कुल्टी भाजपा प्रतिनिधि मंडल में शामिल भाजयुमो जिला सचिव संतोष वर्मा अपने समर्थकों के साथ सभी अखाड़ों का जायजा लिया। इस दौरान श्री वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार और यहाँ की पुलिस-प्रशासन नपुंसक की तरह बातें कर रही है, यदि कोई भी धार्मिक जुलूस निकलता है तो उस दौरान आमजन को सुरक्षा व सुविधा प्रदान करना राज्य सरकार व पुलिस-प्रशासन का कार्य है और यदि पुलिस इसे सक्षम नहीं है तो फिर उनका यहाँ क्या कार्य है, क्या यहाँ की पुलिस सिर्फ मोटरसाईकिल वालों को पकड़ने के लिए है। उन्होंने कहा कि यहाँ पुलिस कमिश्नरेट होने से पहले सिर्फ एक एसएसपी रैंक के पुलिस अधिकारी बैठते थे, तब कभी भी ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई, जबकि वर्तमान में दर्जन भर आईपीएस अधिकारी के रहते दंगा हो जा रहा है, इसमें पुलिस की नाकामी है लेकिन इसका खामियाजा यहाँ के राम भक्तों को भुगतना पड़ रहा है। वर्तमान तृणमूल की राज्य सरकार इतनी नालायक सिद्ध हो रही है, हिन्दू अपने पर्व-त्यौहार भी नहीं मना पा रहे है।

Last updated: अप्रैल 10th, 2018 by News Desk