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नहाय – खाय के साथ शुरू हुआ खर जिउतिया का निर्जला उपवास व्रत

नहाय खाय के साथ शुरू हुई जिउतिया पर्व कल मायें रखेंगी निर्जला जिउतिया व्रत, बाजार सज धज कर हुआ तैयार,

धनबाद समेत पुरे कोयलाँचल में जिउतिया पर्व की गूंज सुनाई दे रही है जबकि यह जिउतीया व्रत एक कठोर लेकिन महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की सलामती के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। जितिया व्रत को मुख्य रूप से बिहार झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि यह व्रत क्यों इतना महत्वपूर्ण है और इस दिन किसकी पूजा की जाती है।
पंचांग के अनुसार, जितिया व्रत आश्विन माह के कृष्ण शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर किया जाता है। इस जिउतिया व्रत में माताएं अपनी संतान की सुरक्षा व स्वास्थ्य की कामना के साथ व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि श्रद्धाभाव से इस व्रत को रखने से संतान के जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इतना ही नहीं, इस व्रत को लेकर यह भी कहा जाता है कि जो भी महिला इस व्रत को करती है उसे कभी संतान वियोग का सामना नहीं करना पड़ता है
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर हो शुरू हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, जितिया व्रत बुधवार, 25 सितंबर को किया जाएगा वहीँ
जितिया पर्व के व्रत में छठ की तरह ही नहाय-खाय और खरना किया जाता है व तीसरे दिन इस व्रत का पारण किया जाता है। जितिया व्रत के दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करती हैं। व्रत के दिन सूर्योदय से पहले फल, मिठाई, चाय, पानी आदि का सेवन किया जा सकता है। इसके बाद अगले दिन सूर्योदय तक निर्जला उपवास व्रत किया जाता है। इसके बाद अगले दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। इस दौरान चावल, मरुवा की रोटी, तोरई, रागी और नोनी का साग खाने का प्रचलन है।वैसे कई जगह मछली का भी सेवन किया जाता है,
जितिया व्रत पर भगवान जीमूतवाहन की पूजा का विधान है, जो असल में एक गंधर्व राजकुमार थे। एक पौराणिक कथा के अनुसार, राजा जीमूतवाहन ने अपने साहस और सूझबूझ से एक मां के बेटे को जीवनदान दिलाया था। तभी से उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाने लगा और माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए जीवित पुत्रिका नामक व्रत रखने लगीं।
और आज यह पौराणिक काल से चलकर इस कलयुग काल में भी जिउतिया पर्व लगभग सभी माताएँ अपनी जीवित पुत्र के लिए यह पर्व बड़ी ही विधि विधान के साथ करती है जैसा की आज सभी जगह देखा जा रहा है,इस जिउतिया व्रत में माताएँ अपने बच्चों की कलाई पर रक्षा सूत्र भी बांधती हैँ जिससे की उनके बेटे सदा ही निरोग व स्वस्थ रहे ऐसी है जिउतिया व्रत की गाथा,

Last updated: सितम्बर 24th, 2024 by Arun Kumar