गुलज़ार खान(कल्यानेश्वरी)। प्राकृतिक की मनमोहक काया मैथन डैम की सौंदर्य के साथ ही धार्मिक और आस्था का प्रतीक माँ कल्यानेश्वरी मंदिर दोनों स्थानों की महत्वा ही मैथन को सर्व गुण संम्पन्न बनाती है। इतना ही नही मैथन की यह धरोहर आज सैकड़ों घरों की वर्षों से चूल्हा जला रही है।
यू तो दिसंबर माह से लेकर फरवरी माह तक यहाँ सैलानियों की चहलकदमी से चकाचौंध होती है, इस अवसर को यहाँ के लोग सामुहिक रोजगार के साथ उत्शव के रूप में मनाते है, क्योंकि स्थानीय पूजा दुकान, पुजारी, ऑटो चालक, होटल संचालक, नाविक से लेकर दुकानदार तक की घरों में समृद्धि और खुशियों की बारिश होती है।
किन्तु तीन माह बीतते ही यह पूरा इलाका और यहाँ की पर्यटन लगभग वीरान हो जाती है, उपरोक्त सभी लोग बाकी 9 महीने रोजगार के लिए तरसते देखा जा सकता है, सबसे बड़ी आपदा और विपदा नाविकों के समक्ष खड़ी हो जाती है, अलबत्ता सैलानियों को मैथन डैम की जलाशय में भ्रमण कराने वाले नाविक अब बचें महीनों में मछुआरा बन जाते है, जहाँ से उनके लिए बेरोजगारी की अंधियारी से अब रोजगार की उम्मीद भरी रोशनी आने लगी है। उम्मीद की इसी किरण और रोजगार अब कहने लगी है.. मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती।
शनिवार को मैथन डैम की जलाशय से बथानबाड़ी गाँव निवासी इकराम अंसारी और इम्तियाज अंसारी ने एक 18 किलो दूसरा 8 किलो का मछली पकड़ा, इतनी बड़ी मछली को देखने के लिए भीड़ इकट्ठी हो गई, हालांकि रातभर की मेहनत के बाद इकराम और इम्तियाज के लिए सुबह खुशियों से भरा था उनका लगभग एक सप्ताह का रोजगार उन्हें मिल चुका था। इकराम और इम्तियाज ने बताया की कई सप्ताह तक लगातार परिश्रम करने के बाद बड़ी मछली हाथ आती है, मैथन डैम की जलाशय बहुत बड़ी है, पहले डीवीसी और राज्य सरकार द्वारा निरंतर मैथन डैम में मछली का जीरा छोड़ा जाता था, जिसमें अब इसमें कमी आ गई है, फलस्वरूप डैम की जलाशय में मछली भी कम है, उन्होंने कहा कि सैकड़ों लोगों की जीविका मैथन डैम पर निर्भर है।
हालांकि पूरी फेहरिस्त में अब भी पूजा दुकान, पुजारी, ऑटो चालक, होटल संचालक से लेकर दुकानदार के लिए 9 माह संकट की बादल छाए रहती है। मैथन डैम को पर्यटन हब बनाने को लेकर देखा गया सपना अब भी डीवीसी प्रबंधन और बंगाल झारखंड सरकार से आशा की बाट जोह रही है, ये सपना साकार होते ही मैथन में सालों भर पर्यटन की कल्पना की जा सकती है। हाल के ही दिनों में आसनसोल नगर निगम मेयर सह बाराबनी विधायक बिधान उपाध्याय ने कहा था कि मैथन डैम के निकट पहाड़ों में रोपवे लगाने समेत इस स्थान को पर्यटन हब बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है। दूसरी और झारखंड की और से निरसा विधायक अरूप चटर्जी ने भी झारखंड क्षेत्र स्थित मैथन डैम इलाका को पर्यटन स्थल स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू कर दी है, पूरे प्रकरण में डीवीसी प्रबंधन की भूमिका अब भी साफ़ नही है, अलबत्ता तीन प्रयास को यदि सामूहिक रूप में प्रयोग में लाया जाता तो शायद? मैथन डैम को सैलानियों के लिए कश्मीर और स्थानीय के लिए रोटी की गारंटी साबित होगी।