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चिरेका में प्रवासी पक्षियों का बसेरा

चित्तरंजन,सालानपुर। चित्तरंजन रेल नगरी का हरा-भरा वातावरण जो प्रकृति प्रेमियों का पसंदीदा स्थान है,यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और ताजगी भरा वातावरण सभी को पसंद आता है। इसी वजह से ही सर्दियों के मौसम में सैलानियों का दल यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्य का दीदार करने चित्तरंजन रेल नगरी में सपरिवार आते है। यहाँ पर वन्य जीव जंतुओं सहित प्रवासी पक्षियों का रैन-बसेरा है। ये प्रवासी पक्षी यहाँ के अनुकूल मौसम व वातावरण में अपने आप को ज्यादा सुरक्षित और संरक्षित पाते है। हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी शरद-ऋतु के दस्तक के साथ ही इन दिनों चिरेका रेल नगरी का इलाका प्रवासी पक्षियों के मधुर कलरव से गूंजने लगा है। हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर काफी संख्या में इन प्रवासी पक्षियों के झुण्ड ने रेल नगरी स्थित जलाशय व हरे-भरे स्थलों जैसे करनैल सिंह पार्क,अजय नदी घाट, अस्पताल झील, सिमजुरी नदी घाट, गंगा वोट क्लब सहित अन्य झील, तालाब, नदी तट और आस-पास के जलीय व स्थलीय इलाकों मेंअपना आशियाना बनाया है। मुख्य रूप से येल्लो वागटेल, लेस्सर विस्टलिंग टिल, कोटोन टिल, ग्रेट क्रिस्टेड गृब, नोदर्न शोवेल्लर, ग्रे हेरोन, पिन टेल,कॉमन पोचार्ड, वॉटर हेन व पनकोव्वा, नाइट हेरोन, व्हाइट हेरोन, कोमोन डक्स आदि पक्षियों ने अपना डेरा, रेल नगरी में डाल रखा है। यूरोप तथा हिमालयन क्षेत्र से आये ज़्यादातर रंग-बिरंगे पक्षियों से चित्तरंजनका इलाका एक अभयारण्य बना हुआ है। जो पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र साबित हो रहा है। लोग इन खूबसूरत पक्षियों की तस्वीरों को अपने कैमरे में कैद कर आनंदित महसूस कर रहे है।

ज्ञात हो कि शरद ऋतु के आगमन से इसके विदाई तक ये मेहमान पक्षी अपना बसेरा यहाँ बनाये रखते है। इसके ऊपरांत ये लोग वापस अपने देश चले जाते है।


चिरेका प्रशासन भी इन प्रवासी अतिथि पक्षियों की देख-भाल और सुरक्षा को लेकर हमेशा से ही प्रयासरत है। इसी के तहत धनबाद के परिचित प्रवासी पक्षीविशेषग्य, अखिलेश कुमार सहाय को चित्तरंजन आमंत्रित कर सतीश कुमार कश्यप, महाप्रबंधक के द्वारा चित्तरंजन में आने-वाले प्रवासी पक्षियों के विषय पर जानकारी हेतु जलाशयों का आज दौरा किया. प्रशासन ने प्रवासी अतिथि पक्षियों की देख-भाल और सुरक्षा को लेकर पहले से ही कई उपाय अपना रखे है। जैसे जलाशयों के पास से गुजरने वाली सड़कों पर भारी वाहनों का परिचालन वर्जित,जलाशयों में अतिक्रमण प्रतिबंधित तथा नियमित जलाशयों की साफ–सफाई का ख्याल रखना आदि महत्त्वपूर्ण कार्य है। ताकि भविष्य में दिनों–दिन प्रवासी पक्षियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सके।

आशा है कि चिरेका प्रशासन की सजगता एवं यहाँ की अनुकूलीय वातावरण के कारण इन जीव-जंतुओं को प्रशासनिक प्रोत्साहन और संरक्षण का लाभ मिलेगा।

Last updated: दिसम्बर 25th, 2020 by Guljar Khan