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मेरी बात — “सिंहासन खाली करें जनता आ रही हैँ ” अरुण कुमार, लेखक सह पत्रकार

मेरी बात “सिंहासन खाली करें जनता आ रही हैँ,” @ अरुण कुमार, लेखक सह पत्रकार — आज का यह टॉपिक की सिंहासन को खाली करें जनता आ रही हैँ या जनता सब देख रही हैँ या ये कि जनता हैँ सब जानती हैँ यह शब्द इस पर सटीक बैठ भी रहा हैं और ज़ब बात आ जाती हैँ आज के राजनेताओं की तो सबकुछ समझते देर नहीं लगती हैँ कि यह शब्द क्यों इनलोगों पर उपयुक्त बैठ रही हैँ क्योंकि आज के नेता अपने अगल बगल ऐसी टीम को तैयार कर रक्खे हैँ जो की जनता की मुलभुत समस्या को दरकिनार करके चलने का कार्य करते हैँ कहने को तो इन्हें जनता की जनसम्पर्क व जनसमस्या हेतु नेता लोग अपने साथ रखते हैँ किन्तु यही लोग स्वयं विधायक व सांसद बन बैठते हैँ वे आपको पहचानना तो दूर आप पर ध्यान भी नहीं देते हैँ जबकि कई मामलों में जब यहाँ के जनप्रतिनिधि किसी काम का अगर शिलान्यास करते हैँ तो कार्य की समीक्षा भी अपने एंड से नहीं करते हैँ जिससे की कार्य तो होता हैँ किन्तु कार्य प्रगतिशील का केवल बोर्ड को लगाकर उसे कामचलाऊ बना दिया जाता हैँ जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए तभी तो जनभागीदारी का पूरा सहयोग इन जनप्रतिनिधियों को नहीं मिल पाता हैँ वहीँ जनप्रतिनिधि के इर्द गिर्द और भी जो लोग होते हैँ उन्हें तो अपने से ही फुर्सत नहीं मिल पाती हैँ तो फिर वे किधर जनता की जनसम्पर्क व जनसमस्या से अवगत हो पाते हैँ जैसा की आज के डेट में सभी जगह देखा जा रहा हैँ जबकि यह सच हैं कि एक राजनेता सबों को ख़ुश नहीं रख सकता हैँ किन्तु कुछ ऐसा एक जनप्रतिनिधि को अवश्य करनी चाहिए की आनेवाला समय में उन्हें अपनी मौजूदगी का अहसास जनता जनार्दन के बीच में स्वयं हो जाए अन्यथा ये जनता हैँ ये ज़ब ज़ब जागती हैँ तब तब सरकार बदल देती हैँ और एक जनप्रतिनिधि को स्वयं को परिभाषित करते हुए कार्य करना चाहिए की अगर क्षेत्र भ्रमण में निकले तो चलते चलते ध्यान में आ जाना चाहिए की यहाँ कौन सा कार्य होगा जिससे की आम जनता के बीच उनकी एक गहरी पैठ स्थापित हो सके, वहीँ एक बार अगर आप आम जनता के जनप्रतिनिधि बन जाते हैँ तो एक जनप्रतिनिधि आम नहीं खास हो जाता हैँ और यही खास उन्हें अपनी पहचान बनाने में काफी मदद भी करती हैँ किन्तु उनके बीच में उनके ही अगल बगल के लोग सही रूप से अपने कार्य का निर्वाहन सुचारु रूप से नहीं करते हैँ सबसे पहले जनप्रतिनिधियों को इनलोगों की ही समीक्षा करनी चाहिए तब आप स्वयं जान जाएंगे की कहाँ गलती हो रही हैँ और कौन गलत हैँ अन्यथा काम तो हो रहा हैँ या होगा किन्तु जनता तो रहेगी जनप्रतिनिधियों को अपना ख्याल स्वयं रखना होगा,तभी तो कहा गया हैँ “सिंहासन खाली करें जनता आ रही हैँ,”

आभार, अरुण कुमार,

Last updated: अगस्त 29th, 2023 by Arun Kumar