मेरी बात ——सनातनियों के लिए महाकुम्भ, ममता दीदी के लिए मृत्युकुम्भ, लालू यादव के लिए फालतूकुम्भ,कोंग्रेसीयों के लिए बेकार हैँ कुम्भ जबकि श्रीमान अखिलेश यादव जी के लिए पैसों की बर्बादी हैँ ये कुम्भ तो हमसब बात पहले अखिलेश भैया जी के लिए ही करेंगे कि उनके मुख्यमंत्री रहते सैफई में किया होता था वो कैसे इसको एक्सप्लेन करेंगे वहीँ ममता दीदी जवाब देने में जरा भी देरी नहीं करती हैँ कि यह कुम्भ नहीं मृत्यु कुम्भ हैँ तो दीदी इस पाखंड के पीछे तो केवल वोट बैंक की आपकी राजनीती आम जनता को दिखाई दे रही हैँ वहीँ अब लालू जी भी कह रहे हैँ कि फालतू हैँ यह महाकुम्भ तो दादा जी अब आपकी उम्र सठियाने वाली हो गई हैँ और चले हैँ मुरारी हीरो बनने ये बात आम जनता को हजम नहीं हो रही हैँ वहीँ इस आस्था के महाकुम्भ में एक बात तो स्पष्ट हो जाती हैँ कि योगी जी जो कहते हैँ वो करते हैँ यही सात्विक सत्य भी हैँ जबकि इस महाकुम्भ को बदनाम करने में विपक्षी पार्टियों ने कोई कोर कसर भी नहीं छोड़ी हैँ किन्तु आम जनमानस का किया वे तो पैदल, ट्रैन, बस यहाँ तक की खुद की नाव में चलकर इस महाकुम्भ में स्नान करने में जरा भी देरी नहीं किये और करोड़ों की संख्या में प्रयागराज पहुंचकर संगम में स्नान किये वहीँ किया नेता और किया सेलेब्रेटी सभी इस महाकुम्भ के साक्षी भी बने अब कहने को तो आप कुछ भी कहे किन्तु सनातनियों का विरोध करना इनलोगों की परम्परा बन चुकि हैँ जबकि जनाब केजरीवाल महोदय भी इस महाकुम्भ को एक अलग ही नाम देकर सम्बोधित किये हैँ यही विरोध उनको भारी पड़ा और वे दिल्ली की गद्दी गवां बैठे आज की राजनीती काफी हाईटेक हो गई हैँ यहाँ आपकी एक छीक भी अख़बार की सुर्खियां बन जाती हैँ और आप उस विरोधाभास के चक्कर में पड़कर उस सनातन धर्म का विरोध कर बैठते हैँ जिसकी कल्पना और परिकल्पना के शाक्षी स्वयं भगवान हैँ तो यही आपकी गलती पकड़ी जाती हैँ और अगर अब भी ये विपक्षी पार्टियां नहीं चेती तो वो दिन दूर नहीं ज़ब केवल पक्ष ही रह जाएगा और पूरा का पूरा विपक्ष खत्म हो जाएगा,