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मेरी बात — “पेट की भूख ” क्रमशः @ अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार

मेरी बात — “पेट की भूख “क्रमशः — जैसा की पहले वाले
अंक पेट की भूख में मैंने यह आपलोगों को बतलाया था कि काम के सिलसिले में मैं अक्सर धनबाद जाया करता था और मैं थका हारा काम के भारी तनाव के बाद ज़ब लौट कर वापस अपने दुकान पर आता था तो ना चाहते हुए भी एक बड़ा पाव रोटी चाय के साथ खा लेता था और वापस अपनी दुकानदारी में लग जाता था यह सिलसिला लगातार जारी रहा क्योंकि मुझे बाजार में अपना गुडविल बचा कर भी जो चलना था चुकि मेरे पिताजी स्वयं बी सी सी एल के कर्मचारी रह चुके हैँ उनका जो स्टेटस था वो भी बचा कर रखना था और अपना स्टारडम को कैसे विकसित करना हैँ इस पर भी काम करना था तथापि कार्य किया जाए यह भी एक कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए उस कार्य को करना जो था यह सोच रखकर ही आगे कार्य करना भी था जो की कहीं से भी दिखाई नहीं पड़ रही थी तभी मैंने पिछले अंक में आप सभी पाठकों को बतलाया था कि मुझे दिन में भी तारे दिखाई दिया करते थे, किन्तु त्याग, समर्पण, और निष्ठा के मुलमंत्र से चलकर और माँ काली को मन मंदिर में रखकर अपने कर्म पथ पर निरंतर चलते हुए व चलते रहने से सफलता अवश्य मिलती हैँ और मैं आज डंके की चोट पर कह सकता हूँ कि कोई ऐसा अपना हो,बेगाना हो, या कोई भी हो सगा सम्बन्धी उनसबों के लिए मैंने अवश्य कुछ ना कुछ किया हैँ चाहें वो पैसे से मदद हो या काम से या किसी तरह की मदद अगर विश्वास ना हो तो मेरे जितने चाहने वाले हैँ वो अपने से सोचे और विचार करें की अगर अरुण कुमार को जब भी जिस मामले में कोई याद किया हो और अरुण कुमार ने मदद ना किया हो यह तो हो ही नहीं सकता क्योंकि मदद करना मेरे खून में ही हैँ इस अरुण को अरुण कुमार बनाने के लिए कितने जतन करने पड़ते हैँ यह कोई भी नहीं जानता अब बात आती हैँ कि कौन किया चाहता हैँ और कौन किया कहता हैँ अरे भाई आप तो ठीक रहे किन्तु कुछ लोग स्वयं ही ठेकेदार बन जाते हैँ अरे भैया एक बात आज सब लोग जान लें कि मैं केवल 15 होली और मनाऊंगा क्योंकि मेरी उम्र 45 वर्ष हो गई हैँ उस लिहाज से एक इंसान स्वयं 60 वर्ष का जीवन को अगर मानता हैँ तो हुआ ना केवल 15 होली उसी तरह आप सभी पाठकगण अपनी उम्र के हिसाब से लगा लें की आपकी होली कितने बटे कितने की पड़ रही हैँ या कितना होली पर्व शेष रह गया हैँ आप सबके जीवन में फिर काहे व्यर्थ की चिंता करते हैँ,जी हाँ यह आप सबों का दोष नहीं हैँ क्योंकि आजतक आपलोगों को सिस्टमेटिक तरीके से कोई समझाने वाला नहीं मिला था तभी कुछ लोगों की कथनी और करनी में अंतर हो जा रहा हैँ खैर मुद्दे से ध्यान भटकाने की जरुरत नहीं हैँ क्योंकि आज के डेट में इंसान स्वयं ही गलती कर रहा होता हैँ और ज़ब बात उसके रिलाईजेसन की आती हैँ तब समझ में आता हैँ कि उस इंसान ने किया खोया और किया पाया तो दोस्तों बी केयरफुल क्योंकि जिंदगी दुबारा आपको मौका नहीं देगी और सत्यता के साथ आगे बढ़ते रहे अन्यथा जो अबतक मिला हैँ उसे भी वापस ले लेगी यह एक कटु सत्य भी हैँ,और अंत में मैं इतना ही कहूंगा कि अगर पेट की भूख को मन के अंतरात्मा की भूख मानकर कार्य किया जाए तो परमात्मा अवश्य ही सबों का बेड़ा पार लगाते हैँ जैसा की मेरे मामले में हुआ मैं कृतार्थ हूँ सबों का जिन्होंने मुझे दिल से दुआ दिया अन्यथा मैं भी किसी एक से कोने में पड़ा रहता,

सबों का आभार,

“मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क”

(भागवत ग्रुप कारपोरेशन )

Last updated: दिसम्बर 4th, 2023 by Arun Kumar