Site icon Monday Morning News Network

मेरी बात, कर्म और भाग्य लेखक सह पत्रकार (अरुण कुमार)

मेरी बात,,कर्म और भाग्य — लेखक सह पत्रकार, @ अरुण कुमार — विधि का विधान कहें या प्रकृति का अपना कोई क्रियाकलाप की, और जब बात आ जाती हैं कर्म की तो सारी बातें अपने आप में सम्माहित सी हो जाती हैं और वो भी हो क्यों ना क्योंकि आज के इस कलयुग में प्रकृति के खेल भी बड़े निराले जो हो गए हैं किन्तु परन्तु कर्म का लेखा जोखा एक लेखक से बढ़िया कौन लिख सकता हैं? और जब बात आ जाती हैं अपने कर्म करने की तो बातें होना और उठना भी लाजमी ही हैं किन्तु इस कर्म प्रधान संसार में भाग्य की बातें ना हो ये बातें तो इसके विपरीत कही ना कही अवश्य आकर रुकती हैं मैं मेरी ओर से सदैव ही ये अपेक्षा रखता हूँ कि मेरे द्वारा लिखा गया हर एक लब्ज स्वयं में परिभाषित होकर ही आगे आपलोगों के लिए समर्पित करता रहूँ और मैं जबतक कि ये ना जान जाऊ कि इस कर्म रूपी संसार में भाग्य का किया रोल हैं?तो हम इसे ऐसे ही परिभाषित भी नहीं कर सकते हैं जबकि कर्म का लेखा जोखा अपने आप में किसी मार्मिक व्यंग से कम भी नहीं हैं, इच्छा के विपरीत कार्य करना कर्म का उदाहरण नहीं हो सकता हैं ऐसा मेरा मानना हैं जबकि भाग्य इंसान के उस पिटारा का एक रूप हैं जिसमें की इंसान अपने भाग्य को लेकर सदैव हतोत्साहित रहता हैं कि मेरे भाग्य में ही यह नहीं था किन्तु जब हम सब एक नियत और नियति के साथ अपने कर्म को करते हैं तो हम सब अपने भाग्य के उस रूप को पा लेते हैं जिसकी कल्पना हमसब कर रहे होते हैं अब बात आती हैं तकदीर और तबदीर की तो आप सब जान जाए की कर्म के मेहनत से ही भाग्य बनता हैं क्योंकि हमसब एक कर्मयोगी पुरुष हैं और भगवान हमारे भाग्य प्रबंधक हैं मेहनत करते रहने की चाभी हमारे पास ही होती हैं किन्तु भाग्य व फल देने वाली दूसरी चाभी हमारे भगवान या ये कहें की प्रबंधक के पास ही हमेंशा रहती हैं इसलिए अक्सर ये बातें बोली जाती हैं कि कर्म तो आपने बहुत अच्छा किया किन्तु भगवान अगली बार अवश्य उसे पूरा करेंगे यही शास्वत सत्य हैं कि कर्म का लेखा जोखा सदा ही दो धारी तलवार पर टिकी रहती हैं क्योंकि अगर आपका कर्म अच्छा होगा तो आपका भाग्य आपके साथ होगा और जितना आपके भाग्य में होगा वो आपको अवश्य मिलेगा किन्तु अगर भाग्य में नहीं होगा तो आया हुआ भी आपके हाथ से चला जाएगा ये भी एक कटु सत्य ही हैं इसलिए कर्म को प्रधान मानकर कार्य करते रहे तो सफलता और भाग्योदय होते देर नहीं लगेगी अन्यथा अगर बुरा कर्म को मन में मानकर कार्य करेंगे तो भाग्य तो ख़राब होगा ही आप किसी अभागे से कम भी नहीं अपने आपको आंक पाएंगे इसलिए कर्म का लेखा जोखा को अपने मन की अंतरात्मा में रखकर कार्य करें सफलता अवश्य आप सबों को मिलेगी ऐसा मेरा मानना हैं, सबों को समर्पित

अरुण कुमार, लेखक सह पत्रकार, मंडे मॉर्निंग न्यूज नेटवर्क
(भागवत ग्रुप कारपोरेशन )

Last updated: अगस्त 1st, 2023 by Arun Kumar