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मेरी बात — कलयुग का अनोखा प्यार @ लेखक सह पत्रकार,अरुण कुमार

मेरी बात — *कलयुग का अनोखा प्यार *@ लेखक सह पत्रकार अरुण कुमार — आज का यह टॉपिक लिखने से पहले मैं काफी पेशोपेश में था कि मैंने जो यह टॉपिक चुना हैं कलयुग का अनोखा प्यार तो क्यों इसका चुनाव किया हैं या मैं इस टॉपिक को किसपर से शुरू करूँ की यह टॉपिक आप सभी तमाम पाठकों के लिए अच्छा से अच्छा रहे तो मैंने काफी गहन- चिंतन के बाद आज का यह टॉपिक कलयुग का अनोखा प्यार एक बेटी से शुरू कर रहा हूँ क्योंकि आज के डेट में इस कलयुग का जो यह माहौल बन रहा हैं वो अपने आप में अनूठा हैं क्योंकि आज की बेटियां अपने आप में काफी परिपक्व जो हो गई हैं अब बेटियों में घूँघट वाली वो लाज दिखाई नहीं देती हैं जिसकी आस हर एक पिता अपनी आँखों से देखना चाहता हैं चुकि आज के इस कलयुग में पिता की पगड़ी का मान और सम्मान एक बेटी पर ही निर्भर भी करता हैं किन्तु आज के इस कलयुग रूपी संसार की कई बेटियां अपनी संस्कार को खो चुकी हैं यह कहना भी कतई गलत नहीं होगा और ज़ब बात आ जाती हैं कि इन बेटियों को किसने गुमराह किया तो सारा मामला समझ में आने लगता हैं कि आज की यह युवा पीढ़ी अपने आप में काफी अग्रेसिव जो हो गई हैं वे लोग समय से पहले दिग्भ्रमित भी हो गए हैं अब इनमें ना ही संस्कार का ही संचय हो पा रहा हैं और ना ही अब ये लोग अपने अंदर संस्कार का संचालन ही कर पा रहे हैं ऊपर से कमोवेश आज का यह कलयुगी समाज इन युवाओं को किसी प्रकार से एडजस्ट भी नहीं कर पा रहा हैं जबकि कई मामलों में आज की बेटियों को समझने और समझाने का दौर कहीं ना कहीं विलुप्त सा होता जा रहा हैं ऐसा मेरा मानना हैं वहीँ एक बेटी को अपने अंदर की जीवंत बातें को जागृत कर जागरूकता पुर्वक कार्य करते रहना चाहिए तभी एक पिता का मान और सम्मान बचेगा जो की आज के इस कलयुग रूपी समाज का साशवत सत्य भी हैं जबकि एक बेटी के लिए शादी से पहले उसका पिता ही हीरो होता हैं और शादी के बाद पति उसका दूसरा हीरो हो जाता हैं किन्तु आज की परिस्थिति ठीक इसके उल्ट हो गई हैं आज की बेटियां अक्सर यह सोचती हैं कि लड़कों से वों किसी भी मामले में कम नहीं हैं और वे अपने आपको लड़कों से कम भी नहीं आंकती हैं जो कि कुछ हद तक सही भी हैं किन्तु अगर देखा जाए तो लड़कों और लड़कियों में कोई भी तुलनात्मक शब्द नहीं बचा हैं फिर भी इस कलयुग में इसी बात को ज्यादा तबज्जो दिया जाता हैं कि लड़कियां सभी मायनों में लड़कों से आगे निकल रही हैं और यही इस कलयुग का सबसे बड़ा दिग्भ्रमित शब्द हैं वैसे आज की बेटियों को एक सन्देश अवश्य ध्यान में रखनी चाहिए कि एक पिता का प्यार,माँ का प्यार, भाई का प्यार और पुरे परिवार के प्यार से बढ़कर एक पति का प्यार ही सही मायने में सब पर भारी पड़ जाता हैं इस कलयुग के अनोखे प्यार को आप अवश्य समझ गए होंगे क्योंकि आप लोग स्वयं में समझदार जो हो गए है और समझदार के लिए एक इशारा ही काफी होता हैं तो प्लीज कलयुग के इस अनोखे प्यार के चक्कर में ना पड़े अन्यथा सब कुछ पाकर भी आप बहुत कुछ खो देंगे और आज का समाज भी कभी भी इस कलयुग के अनोखे प्यार को मान्यता नहीं देता हैं अब मर्जी हैं आपकी क्योंकि जीवन हैं आपका और अंत में **बाप की पगड़ी चाहिए या इस कलयुग का अनोखा प्यार **

अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार
(मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क)
(भागवत ग्रुप कारपोरेशन)

Last updated: अगस्त 6th, 2023 by Arun Kumar