Site icon Monday Morning News Network

मेरी बात — “झूठ का मकड़जाल” लेखक सह पत्रकार ( अरुण कुमार )

मेरी बात — “झूठ का मकड़जाल” ==== आज का यह टॉपिक मैं काफी सोच विचार कर लिख रहा हूँ और आपलोगों के समक्ष इसको शेयर कर रहा हूँ और मैं इस टॉपिक के माध्यम से आपसबों को आगाह भी करना चाहता हूँ कि आज अपना घर हो अपना परिवार हो या हो आसपास के पडोसी या हो अपना पट्टीदार या कोई भी नया हो हिस्सेदार सबों के मन मेँ इस झूठ का बोलबाला भरा पड़ा हैँ क्योंकि इनसभी के मन मेँ एक भय व डर का माहौल सा बन गया हैँ जबकि आज के डेट मेँ कोई भी इंसान ना चाहकर भी इसी झूठ के मकड़ी के जाल मेँ फंसकर एक मकड़जाल अपने मन के मंदिर मेँ बना कर बैठे हुए हैँ और यहीं सारी गड़बड़ी हो रही हैं वहीँ कुछ इंसान स्वयं को परिभाषित करने के चक्कर मेँ अच्छा और बुरा की भी परवाह नहीं करते हैँ और तथाकथित वे लोग स्वयं के परिवेश को भूलकर इस झूठ रूपी माहौल मेँ ही अपने आपको ढाल लेते हैँ तो आज मेरा उन सभी महानुभावाओं से कहना हैँ कि श्रीवर आप किस चीज के चक्कर मेँ पड़े हुए हैँ अरे भाई अगर आज 21 वी शदी के इस पावन युग मेँ भी आपसबों का अपने सगे भाइयों से ही नहीं पट रहा हैँ या ये कहें कि उनसे आपके सम्बन्ध अच्छे नहीं बन पा रहें हैँ तो किया गारेंटी हैँ कि आपके अपने बेटों के बीच के सम्बन्ध अच्छे होंगे अरे बाबा यहाँ एक कहावत तो मुझे सच ही दिखाई दे जाती हैँ श्रीमान कि अगर आप जो अपने भाइयों के प्रति बोये हैँ वहीँ आपके बेटे लोग भविष्य मेँ भी काटेंगे और यहीं विधि का विधान भी हैँ अब बात आती हैँ कि इस झूठ के मकड़जाल से आपको कैसे बाहर रहना हैँ, या निकलना तो ये तो आपसबों पर ही निर्भर करता हैँ कि आपकी सोच की मनःस्तिथि मेँ किया हैँ और ये किया आपको बताना चाहती हैँ वैसे मैं तो स्वयं मेँ सिक्स सेन्स वाला व्यक्ति हूँ और आप सब अपने बारे मेँ स्वयं डिसिजन लें की आप किस सेन्स के हैँ तब जाकर मेरी ये नई
बातें आपसभी के पल्ले पड़ेगी क्योंकि मेरी लिखी हुई टॉपिक हाई लेवल की जो होती हैँ और इसे समझने के लिए आपसबों को भी अपने सोच के लेवल को हाई लेवल से ऊपर बढ़ाना होगा तब बात बनेगी वहीँ समाज किया चाहता हैँ उसको कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए इस झूठ के अकड़जाल व मकड़जाल से आपको निकलना होगा अरे भाई आप कमाने के लिए झूठ का सहारा को लें वो चलेगा किन्तु परिवार मेँ दोस्तों मेँ समाज मेँ झूठ कैसे चलेगा और ये प्रेरणा कहाँ से आपसबों को मिला हैँ जबकि इस समाजरूपी जीवन के आप स्वयं मेँ फेस का आइना हो फिर आपका धर्म किया कहता हैँ ये कभी आपसबों ने सोचा हैँ तो आपका जवाब होगा नहीं तो श्रीमान आप सच मेँ श्रीवर हैँ किन्तु मैं तो कहूँगा कि अभी भी बहुत कुछ नहीं बिगड़ा हैँ प्लीज बी केयरफुल अन्यथा आगे की राम जाने क्योंकि संस्कार आपके ब्लड मेँ होता हैं अब ये तो आपसबों पर डिपेंड करता हैँ कि आपका खून लाल हैँ या काला चुकी अपना खून अपना ही होता हैँ जबकि संस्कार का मूल स्वरूप आपसे ही शुरू होकर आप पर ही आकर खत्म भी हो जाती हैं क्योंकि आप भी किसी की प्रेरणा बनकर आए हैँ और अब आप सब सोच कर बताये की आप किसके आइडल बनना पसंद करते हैँ वहीँ मुझे आपसबों के जवाब का इंतजार रहेगा,

सबों का आभार,

Last updated: फ़रवरी 16th, 2024 by Arun Kumar