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लाइब्रेरी शिलान्यास के मौके पर असनसोल मेयर जितेंद्र तिवारी का छलका इस्लाम प्रेम , कही ये बात

आसनसोल नगरनिगम की ओर से मेयर जितेन्द्र तिवारी रेलपार के ओके रोड में लाइब्रेरी का शिलान्यास करने शुक्रवार की शाम को पहुँचे थे । यहाँ बोरो चेयरमैन गुलाम सरवर एवं पार्षद हाजी नसीम अंसारी ने मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद मेयर जितेन्द्र तिवारी को सम्मानित किया।

लाइब्रेरी शिलान्यास के मौके पर जताया इस्लाम प्रेम

मेयर जितेंद्र तिवारी यहाँ पहुँचे तो थे लाइब्रेरी का शिलान्यास करने लेकिन इस्लाम के प्रति अपनी आस्था जताना नहीं भूले। उन्होंने कहा कि मैं एक सच्चा हिन्दू हूँ इसलिए मैं इस्लाम से प्यार करता हूँ। जो इस्लाम से नफरत करता हो वह कभी सच्चा हिन्दू नहीं हो सकता है। हिन्दू होने के नाते अपने धर्मग्रंथों के साथ हिन्दी में कुरान भी पढ़ा है। धर्म के नाम रोटी सेंकनेवालों के झांसे में मैं नहीं आ सकता।

रमजान के महीने में एक दिन रोजा रखते हैं

उन्होंने कहा कि सावन के महीने में हिन्दू धर्म के अनुसार पूजा-पाठ करता हूँ। वहीं रमजान के महीने में नगरनिगम का जिस दिन इफ्तार पार्टी रहता है, उसे दिन खुद रोजा भी रखता हूँ। इसके पहले बहुत बार इफ्तार पार्टी में जाता था। लेकिन पिछले दो वर्षों से नगरनिगम द्वारा इफ्तार शुरू किया, सारा दिन रोजा रखने के बाद रोजेदारों के साथ रोजा खोला, कम से कम उस दिन मन में कोई पाप नहीं आता है।

मेयर जितेंद्र तिवारी ने कहा कि इस्लाम को माननेवाले लोग एक महीने तक रोजा रखते है, इस दौरान उनके मन में कोई पाप या खोट आ ही नहीं सकता है। एक महीना तक जो पवित्रता आपके अंदर रहती है, वह ईद के नमाज के साथ खत्म नहीं हो जाती है, इसके बाद महीनों तक पवित्रता कायम रहती है।

यह शायद पहली बार है जब मेयर जितेंद्र तिवारी ने इस तरह से इस्लाम के प्रति अपने प्यार का खुल कर इजहार किया है । इससे पहले तक मेयर का एक नरम हिंदुवादी रवैया ही देखने को मिलता था । उन्होंने अपनी एक सेक्युलर छवि पेश करने की कोशिश की है जिसमें वे सावन में पूजा-पाठ भी करते हैं और रमजान में एक दिन रोजा भी रखते हैं । साथ ही सच्चा हिन्दू कहलाने वालों को हिदायत भी दे डाली कि जो इस्लाम से नफरत करता हो वह कभी सच्चा हिन्दू नहीं हो सकता है।

बम और गोलियों का रेलपार आज तालीम का भूखा रेलपार है

आसनसोल के रेलपार के आपराधिक इतिहास का जिक्र करते हुये मेयर जितेन्द्र तिवारी ने कहा कि पहले रेलपार का नाम सुनकर लोग सहम जाते थे। उसमें यहाँ के लोगों की कोई गलती नहीं थी। बचपन से बच्चे जो देखेंगे वही तो सीखेंगे। बम और गोलियों का रेलपार आज तालीम का भूखा रेलपार है। यहाँ के लोगों के मेहनत के कारण ही रेलपार का माहौल बदला है। पहले तालीम को लेकर कोई चर्चा नहीं होती थी, समाज बम से नहीं तालीम से आगे बढ़ता है, यहाँ तालीम की भूख मिटाने के लिए स्कूल, कालेज की जरूरत है, इस भूख को पूरा करने के लिए इसे पूरा नहीं करेंगे तो बच्चे छटपटायेंगे ही। राजनीति से जुड़े जो लोग भी है, उन्हें लोगों की जरूरत के अनुसार काम करने की जरूरत है।

रेलपार में उर्दू कॉलेज की मांग केवल ममता बनर्जी ही पूरा सकती हैं

उन्होंने इस क्षेत्र में एक उर्दू कॉलेज के लिए उठे मुद्दे पर कहा कि हर कोई इससे सहमत है कि यहाँ उर्दू कालेज की जरूरत है। इस जरूरत को केवल और केवल ममता बनर्जी ही पूरा कर सकती हैं और कोई नहीं।

उन्होंने कहा कि जनता जब खुश होती है तो जिन्दाबाद करती है, वहीं जब आप उनकी कसौटी पर खरे नहीं उतरते तो यही मुर्दाबाद में बदल जाता है। हमलोग कोशिश करेंगे कि एसा काम करें कि जनता हमारे नाम पर मुर्दाबाद न करे।

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Last updated: नवम्बर 30th, 2019 by News-Desk Asansol