मधुपुर-क्षेत्र के बहुचर्चित मौलाना हैदर अली ने कहा है कि झारखंड प्रदेश में मुसलमानों को बीजेपी से डराकर विभिन्न राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक रोटी सेकते हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ,कॉंग्रेस राजद, झारखंड विकास मोर्चा जैसे दल अपने को मुसलमानों का शुभचिंतक रहनुमा मानते हैं। लेकिन यह सब दिखावा है। झारखंड में महागठबंधन भी अल्पसंख्यक विरोधी की तर्ज पर काम कर रहा है ।
इन दलों का कहना है कि मुस्लिम तो है ही हमारा गहना ,दिल चाहा तो पहना, नहीं चाहा तो नहीं पहना। मुसलमानों की हित की बात कहकर सिर्फ घड़ियाली आँसू बहाया जाता है । झारखंड में 46 लाख से अधिक मुसलमानों की आबादी है । बावजूद किसी भी दल ने गोड्डा लोकसभा समेत अन्य सीट के लिए एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं दिया। ऐसी स्थिति में अकलियतों के पास नोटा के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है । नोटा बटन दबाने से कम से कम विभिन्न दलों को पता तो चले कि कितना प्रतिशत वोट है और झारखंड से कितने प्रतिनिधि लोकसभा में हमें चाहिए । आखिर लाखों वोटर होने के बावजूद मुस्लिमों को संसदीय प्रणाली के राजनीतिक अधिकार से मरहूम किया जाना हक अधिकार का हनन नहीं।