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कश्मीर समस्या भाया कश्मीर नामा

परिचर्चा में शामिल साहित्यकारगण

कश्मीर हमारा अभिन्न अंग

रानीगंज -प्रेमचंद जयंती सप्ताह समारोह के उपलक्ष्य में मानाविक संस्था की ओर से एक साहित्यिक परिचर्चा रानीगंज के सोष्टिगोरिया स्थित पब्लिक लाइब्रेरी में की गई। इस परीचर्चा का विषय “कश्मीर समस्या भाया कश्मीर नामा” था। परिचर्चा में कोयलांचल के कथाकार सृंजय, नारायण सिंह, मनमोहन पाठक, डॉ,रविशंकर सिँह, मानवीक अध्यक्ष संजय सुमति के अलावा कवि एवं लेखक उपस्थित थे। लेखक अशोक पांडे ने कहा हम कहते है कि कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है, हम कश्मीर से तो प्यार करते हैं पर कश्मीरियों से नहीं। उन्होंने कहा कि काश्मीर का किस प्रकार गठन हुआ है एवं कश्मीर के प्रति लोगों की क्या धारणाएं हैं वहाँ के लोगों को क्या स्थिति है।

कश्मीर भारत का मुकुट है

आलोचक अरुण कुमार होता ने कहा पुस्तक में साहित्य राजनीतिक अर्थशास्त्र समाजशास्त्र है। पुस्तक में 2015 तक के सामाजिक ऐतिहासिक परिदृश्य का वर्णन लेखक द्वारा काबिले तारीफ है। कथाकार सृंजय ने इस परिचर्चा का संचालन करते हुए कहा कि पुस्तक कश्मीर नामा में इतिहास भी है समाजशास्त्र भी और साहित्य भी है। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है एवं उसके बारे में हम कितना कम जानते हैं, इस पुस्तक के माध्यम से हमें यह पता चलती है । उन्होंने बताया कि कश्मीर भारत का मुकुट है जिसे अधिकांश भारतीयों ने नहीं देखा पर अशोक पांडे ने इस पुस्तक के माध्यम से इसे दिखाने का प्रयास किया है। कार्यक्रम का संयोजन सहित्यकार रामजी यादव ने की।

Last updated: जुलाई 30th, 2018 by Raniganj correspondent