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मानवाधिकार के प्रति जागरूकता होनी चाहिए -आचार्य एसके पांडे

मनुष्य होने के नाते हमलोगों को कुछ अधिकार भी मिले हुये है। उन अधिकारो की रक्षा करने के लिए ही मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया। भारतीय संविधान के तहत आयोग यह सुनिश्चित करता है कि हम बिना भेद-भाव, जाति, भाषा, धर्म का अनुसरण किए स्वतंत्र होकर अपनी जायज इच्छानुसार जीवन व्यातित कर सके। जिसे लेकर पूरी दुनियाँ में 10 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है। ये लंबे अरसे से मनाया जा रहा है, फिर भी अधिकांशत: देखा जाता है कि सबसे अधिक हनन मानवाधिकार का ही हो रहा है।

इन्सानो के अधिकारों के लिए जारी संघर्ष और वजूद को अस्तित्व में लाने के लिए वर्तमान में सरकारी संस्था के आलवे हजारों की संख्या में गैर सरकारी संस्थाए कार्यरत है। कुछ संस्थाए अपने कर्तव्यो का बेहतर निर्वाहन कर रही है और आज सही मायनों में उन्हीं ईमानदार संस्थाओं के कारण ही कुछ-एक को हक मिल पाता है। ऐसी ही संस्थाओं में एक नाम,मानव अधिकार प्रोटेक्शन का भी शामिल है।

जिसके पश्चिम बंगाल अध्यक्ष सह बिहार राज्य प्रभारी आचार्या संतोष कुमार पांडे ने कल्याणेश्वरी स्थित संस्था के कार्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस का पालन किया। मौके पर उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में अधिकत्तर लोग अपने अधिकारो से वंचित हो रहे है, यदि लोगों को सही से मानवाधिकार के प्रति जागरूक किया जाये तो समस्या ही नहीं होगी। उन्होंने बताया कि देश में 28 सितंबर 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में है और 12 अक्‍टूबर 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया था।

इसके कार्यक्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ-साथ बाल मजदूरी, एचआईवी, स्वास्थ्य, बाल विवाह, महिला अधिकार, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौत, अल्पसंख्यकों और अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकार जैसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं।

श्री पांडे ने कहा कि संविधान के तहत और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दिशानिर्देशों पर चलता हुये मानव अधिकार प्रोटेक्शन राज्य में बेहतर कार्य कर रहा है,लेकिन हमलोग अपने कार्यों में तभी सफल होंगे जब लोगों का भी भरपूर सहयोग मिलेगा। मौके पर बबलू लाहा,अरविंद बहादुर, सरोज मंडल आदि समेत काफी सदस्यगण मौजूद थे।

Last updated: दिसम्बर 10th, 2018 by News Desk