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ममता के राज में ममता नहीं – शेखावत

प्रेसवार्ता करते मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

आसनसोल -पीआईबी के सहयोग से आसनसोल के शर्मिष्ठा होटल में रविवार को केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रेस वार्ता कर केंद्र सरकार के चार वर्षों की उपलब्धियाँ गिनाई. उन्होंने कहा कि इन चार वर्षों में लोक कल्याण व विकास के कार्य इतने हुए है कि उतना आजादी के सत्तर वर्षों में भी नहीं हुआ. मंत्री ने कहा कि कौशल विकास योजना के तहत देश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए तैयार किया गया, मुद्रा योजना के तहत आज युवा खुद का स्वरोजगार चला रहे है, जनधन योजना के तहत पिछड़े व गरीब नागरिकों का भी बैंक में खता खुला है और उसके जरिये जीवन व दुर्घटना बीमा दिया गया. सात दशक में जहाँ बिजली नहीं पहुँच पाई थी आज वह गाँव रौशन है, बल्कि चार करोड़ से अधिक गाँवों में आज बिजली पहुँच चुकी है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश में पहला नमो नामक मेडिक्लेम पॉलिसी लाने जा रही है, जिसके तहत आम लोग देश के किसी भी निजी अस्पतालों में पाँच लाख तक का इलाज करवा सकते है. जिसका खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी. देश की माँ-बहने कोयला और लकड़ी में खाना बनाती थी जिससे उनके शरीर में चालीस पैकेट सिगरेट जितना प्रदूषण जाता था. आज मोदी सरकार ने उज्जवला योजना के तहत देशभर की गरीब महिलाओं को गैस का कनेक्शन दिया है, जिससे उनकी जीवन शैली में सुधार आया और बीमारी से भी दूर है. उन्होंने कहा कि शिक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भी सरकार अच्छा कार्य कर रही है. आज दाल का मूल्य गिरा है. किसानो के लिए एक नेट बाजार खोला गया है जहाँ पर देशभर के व्यावसाई और किसान जुड़े हुए है. अब किसान अपना सामान पर आसानी से बेच सकता है, बिचौलियों की कहानी ख़त्म हो गई है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बंगाल की मुख्यमंत्री महिला है और यहाँ की जनता ने यह सोचकर उन्हें राज्य का बागडोर सौंपा था कि महिला में ममता होती है और वे राज्य वासियों को संतान की तरह रखेगी, लेकिन देखा यह जा रहा है कि सीपीएम से अधिक अत्याचार ममता के राज में हो रहा है, पुरुलिया में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में वैचारिक मतभेदों के कारण किसी का जीवन लीला समाप्त कर देना अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है. यह लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक है, इन घटनाओं की जिम्मेदारी भी उन्हें लेनी होगी. यहाँ पंचायत चुनाव के दौरान भी नामांकन से लेकर मतगणना तक जिस तरह की हिंसा हुई, वह संसदीय व्यवस्था में स्वीकार करने लायक नहीं है. उन्होंने कहा कि केरल में भी काफी समय तक ऐसा चल रहा था, जहाँ की जनता ने अत्याचारी सरकार को उखाड़ फेंका है, और आब बंगाल की बारी है यहाँ की जनता भी अत्याचार से मुक्ति चाहती है.

Last updated: जून 3rd, 2018 by News Desk