मैं समस्त धनबाद ( कोयलाँचल ) का प्रदूषित कोयला हूँ @ अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार
Arun Kumar
मैं धनबाद (कोयलाँचल )का प्रदूषित कोयला हूँ,,……, विधि का विधान कहिये या धनबाद का बदकिस्मत कहिये दोनों बातें इस प्रदुषण की बदकिस्मती कहने के लिए काफी हैँ और ज़ब बात आ जाती हैँ एक आम इंसान की या यहाँ पर रहने वाले आम जनता की तो यह प्रदुषण वास्तव में साफ साफ दिखाई देती भी हैँ कि कैसे धनबाद समेत पुरे कोयलाँचल में यह लाल कण इसके आवोहवा में घुलकर आम लोगों के जीवन पर अब भारी पड़ रहा हैँ इस प्रदूषित हवा के संपर्क में आकर कई लोग गंभीर रूप से बीमारी की ओर अग्रसारित हो चले हैँ इन सब मामलों में बी सी सी एल प्रबंधक अपनी मनमानी पर जो उतर आया हैँ और इसको रोकने वाला कोई भी नहीं हैँ खासकर आउटसोर्सिंग कंपनीया तो बी सी सी एल से भी एक कदम आगे बढ़कर कार्य कर रही हैँ और जब जवाब और जिम्मेदारी लेने की बात आती हैँ तो यही कंपनी अपनी हाथ पर हाथ धर कर बैठे भी जाती हैँ इन्हें किसी आम जनता से कोई मतलब भी नहीं हैँ इनलोगों को अगर कुछ चाहिए तो वो हैँ कोयला और सिर्फ कोयला चुकि हमसब भी जानते हैँ कि कोयला ही ऊर्जा का सबसे बड़ा साधन हैँ तो किया आम जनता के जीवन से खिलवाड़ करके इस कोयले का उत्पादन करना कहाँ तक जायज हैँ जबकि सारे के सारे जनप्रतिनिधि भी चुप्पी लगाए बैठे हुए हैँ उन्हें भी यह उड़ता हूँ धुलकन नहीं दिखाई देता हैँ और यही सबसे बड़ी विडंबना भी हैँ कि एक आम जनता सभी मुद्दों को ध्यान में रखकर एक कुशल जनप्रतिनिधि को चुनता हैँ और वहीँ जनप्रतिनिधि ज़ब सत्ता पर काबिज हो जाते हैँ तो वे आम जनता के इस परेशानी और दुःख दर्द को भूलने का कार्य करते हैँ एक आम जनता अपने जनप्रतिनिधि से किया चाहता हैँ?? यह जनप्रतिनिधि को अवश्य पता होनी चाहिए जबकि ऐसा पुरे धनबाद क्षेत्र में देखने को नहीं मिलता हैँ वहीँ पानी, बिजली, सड़क, पार्क, के अलावे एक जो नया मुद्दा अभी उभरकर आया हैँ वो हैँ प्रदुषण जो की धनबाद के फिजा में एक जहर की भांति घुलती जा रही हैँ अगर समय रहते इसकी रोकथाम नहीं की गई तो वो दिन दूर नहीं जब आप घर से निकलेंगे तो बीमारी ही अपने घर में लेकर जाएंगे, मैं अभी सिर्फ सबों को आगाह कर रहा हूँ हो सकता हैँ कि अंजाम इससे ज्यादा खराब हो क्योंकि जिस तरह मनमर्जी से आउटसोर्सिंग कंपनीया खनन का कार्य कर रही हैं और बी सी सी एल की भी मौन सहमति इन कंपनीयों को मिली हुई हैं तो वो दिन भी दूर नहीं हैँ जब हवा, के साथ साथ यहाँ की पानी भी ना दूषित हो जाए और वो दिन वाकई में बहुत ही कष्टदायक होनेवाला हैँ खासकर सभी लोगों के लिए, सांस की शिकायत तो धनबाद में थी ही अब दिल की बीमारी भी ज्यादा बढ़ रही हैँ यह मैं नहीं सरकारी आंकड़े कह रहें हैं, और आनेवाले समय में समझ के हिसाब से सबों को चलना होगा अन्यथा धनबाद का नाम तो होगा किन्तु आमलोगों के रहने लायक यह धनबाद नहीं होगा और झरिया का आस्तित्व भी नहीं बचेगा,
आभार, अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार