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सूफी शाह हाजी गुलाम अहिया गाजीपुरी के नेतृत्व में कवि सम्मेलन और मुशायरा

हिंद के मशहूर उस्ताद सूफी शायर पीरे तरीकत हजरत सूफी शाह हाजी गुलाम अहिया दर्द गाजीपुरी के नेतृत्व में लखना मोहल्ला स्थित अख्तर मधुपुरी उर्दू मेमोरियल लाइब्रेरी में अंजुमन तहरीक उर्दू अदब के तत्वाधान में संध्या कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन किया गया। संथाल परगना के बुजुर्ग उस्ताद शायर सलाम केपी की अध्यक्षता में कार्यक्रम आयोजन हुआ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि समाजसेवी गंगा नारायण सिंह मौजूद थे।

कवि सम्मेलन शाह मुशायरा का आगाज अख्तर मधुपुरी के नाते पाक से उनके पोते जीशान अख्तर ने पढ़ा मौके पर सुखिया दर्द गाजी पुरी ने कहा-पहुँचा मेरा ख्याल दयार ए रसूल में हीरे चमक रहे हैं मदीने के धूल में अब मुस्क जार है दिल ए दर्द ए हाजी की रात क्या मौज ब्वॉय गुलशन यादें रसूल में शायर कैसर जया कैसर ने कहा-हादसा ऐसा शहर में अक्सर हो जाता है, चोटे से जिसकी फूल भी पत्थर हो जाता है, अहमद अशफी ने कहा जोक कॉम किसी आह दे जफा से ना डेरी थी।

इस कॉम पर यह दौरा कयामत की घड़ी है, ताहिर मधुपुरी ने कहां-फासले गुल में फिर रंगीन फजा होने का है, जाने वाली है, खजा गुलशन हरा होने को है, अजीम शादाब ने कहा गुब्बारे घटना सकता फिर भी शीशे दिल हुई है, यह यूं तो हर एक शहर की सफाई बहुत रिजवान अयूबी ने कहा दर्द दिल सीना में रह रह कर ठहर जाता है जोना ठहरे मुझे वह दर्द खुदा या दर्द जमील अख्तर ने कहा इजहारे हकीकत पर पड़ती है। जुबा मेरी कुछ और मैं कर गुर्जर हिम्मत यह कहाँ मेरी इसके अलावे अरशद मधुपुरी मोहम्मद जुल्फिकार आदि बजलो एवं कविताओं पाठ से माहौल को खुशनुमा बनाया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी गंगा नारायण अपने संबोधन में कहा है कि उर्दू एक मिठास जुबान ही नहीं बल्कि तहजीब है। आजादी से पहले और बाद में उर्दू जुबान एक सेकुलर रो जौहरी किरदार अदा कर रही है उन्होंने शायराना अंदाज में कहा कि जो शख्स पड़ता है। इंसानियत का दर्शक से का दीदार करता है मंच का संचालन शकील अख्तर मधुपुरी ने अंजाम दिया कार्यक्रम को सफल आयोजन में अंजुमन तहरीक उर्दू अदब अख्तर मधुपुरी मेमोरियल लाइब्रेरी के सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा।

Last updated: मार्च 24th, 2019 by Ram Jha