कल्याणेश्वरी से लेकर देंदुआ तक फैली विशाल उद्योग क्षेत्र की कारखानों में आखिरकार राज्य सरकार की पहल पर जिला प्रशासन ने कोरोना कहर के कारण तालाबंदी कर दी है।
सोमवार की देर संध्या सरकार के आदेश का पालन होने के बाद यहाँ के फैक्ट्रियों की चिमनी से यकायक धुंआ निकलना बंद हो हो गई। क्षेत्र में उद्योग की नींव पड़ने से पहले शायद ऐसा दौर कभी नहीं आया होगा, जहाँ एक साथ सभी कारखानों को बंद किया गया हो।
एक आंकड़े के अनुसार यहाँ के फैक्ट्रियों में लगभग 10 हजार से भी अधिक मज़दूर कार्य करते है। कल्याणेश्वरी कोदोभीटा स्थित इम्पेक्स फैरो एंड पावर लिमिटेड, बीएमए स्टील, सिटी गोल्ड सीमेंट एंड स्टील, जगदंम्बा इस्पात, मैथन अलॉयज, आसनसोल अलॉय, उज्जल मिनरल्स, ईस्टर्न उद्योग, एलोकुएन्ट स्टील, एमएसपीएल पावर एंड स्टील, छाबड़ा इस्पात, समेत दर्जनों हार्ड कॉक, दर्जनों फायर ब्रिक्स, सीमेंट प्लांट समेत अन्य प्लांट सोमवार की देर संध्या लॉकडाउन होने के बाद भारी संख्या में मजदूर अपने अपने घर को पलायन कर गए।
हालांकि कुछ कर्मचारियों ने बताया कि आनन-फानन में बंदी होने के कारण अधिकांश मजदूरों को पेमेंट तक नहीं मिल पाई, सहयोगी और सहकर्मी से कर्ज लेकर घर जा रहे है। ऐसे में यहाँ कोरोना तो घर में भूखमरी जान ले लेगी।
एक फैक्ट्री संचालक ने बताया कि प्लांट बंद करना से बड़ा और कोई दुःख नहीं हो सकता, बंद होने के बावजूद भी मालिकों को अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ेगा। बंदी खुलने के बाद भी प्लांट को सुचारु करना कोई आसान काम नहीं होगा।
इस बंदी की मार को छोटे उद्योगपति झेल नहीं पाएंगे। बैंक का दबाव और बंदी कई उद्योग को हमेशा के लिए भी बंद कर सकती है।