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यौनपल्ली क्षेत्रों पर अब गंभीरता से विचार करने की जरूरत

लच्छीपुर चभका दुर्गापूजा पंडाल में उद्घाटन के बाद दीप प्रज्वलित करते हुये मेयर जितेंद्र तिवारी

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आसनसोल नगर निगम के मेयर जितेंद्र तिवारी ने यौनपल्ली लच्छीपुर चभका में दुर्गापूजा पंडाल का गुरुवार को उद्घाटन किया ।  पंडाल का फीता काटकर एवं दीप प्रज्वलित कर उन्होने दुर्गापूजा पंडाल का उद्घाटन किया । इस दौरान में क्षेत्र के यौनकर्मियों उनके बच्चे सहित स्थानीय लोग भी उपस्थित थे ।

उद्घाटन के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुये उन्होने कहा कि वे इस क्षेत्र के छोटे-छोटे बच्चों के लिए यहाँ आए हैं जिन्हें साल भर दुर्गापूजा का इंतजार रहता है । उन्होने माँ दुर्गा से कामना करते हुये कहा कि यहाँ के बच्चे पढ़-लिख कर जीवन में आगे बढ़ें , नाम कमाएं , यहाँ कि अवहेलित जीवन से उन्हें मुक्ति मिले ।

प० बंगाल में दूसरे स्थान पर लच्छीपुर का यौनपल्ली क्षेत्र

गौरतलब है कि झारखंड सीमा से सटे आसनसोल का लच्छीपुर क्षेत्र यौन पल्ली के रूप में प० बंगाल में सोनागाछी के बाद दूसरे स्थान पर आता है ।

आसनसोल दुर्गापूर पुलिस कमिश्नरेट मुख्यालय से कुछ कि० मी० की दूरी पर स्थित यह यौनपल्ली क्षेत्र लंबे समय से बदनाम रहा है । भारतीय संविधान के तहत यौनकर्म प्रतिबंधित होने के बावजूद आज तक इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है । उल्टे यह क्षेत्र अवैध कमाई एवं उगाही का प्रमुख स्त्रोत बना हुआ है । पुलिसिया सांठगांठ से  पुलिस का डर दिखाकर इस क्षेत्र में कई गुंडे पनपे , आए , चले गए और चल रहे हैं ।  यौनकर्म के अलावे भी यह क्षेत्र कई तरह की आपराधिक गतिविधियों के लिए बदनाम रहा है ।

दुर्गापुर के यौनपल्ली क्षेत्र में दुर्गापूजा की अनुमति दी गयी है

इसी वर्ष दुर्गापुर के कादा रोड के यौनपल्ली क्षेत्र में दुर्गापूजा की अनुमति दी गयी है । वहाँ भी पहली बार दुर्गापूजा के पंडाल बने हैं और पुजा शुरू हुयी है ।

अब इस विषय पर गंभीरता से विचार करने का वक्त है

कहने की आवश्यकता नहीं है कि बाकी यौनपल्लियों की तरह इस यौनपल्ली में भी यौनकर्मी, पुलिस और गुंडे द्वारा प्रताड़ित किए जाते हैं, उनका शोषण होता है ।

राजनीतिक दृष्टिकोण से स्पष्ट है कि यौनपल्ली क्षेत्र की उपस्थिती को स्वीकार कर लिया गया है । अब सरकार को भी इस विषय पर गंभीरता से सोंचने की आवश्यकता है । या तो सरकार यौनपल्ली क्षेत्रों को पूरी तरह से बंद करे । यौनकर्मियों का पुनर्वास करे या फिर इसे कुछ शर्तों के साथ इसे कानूनी मान्यता दे जिससे की इन यौन कर्मियों का शोषण बंद हो । अवैध कमाई और अवैध उगाही का धंधा बंद हो ।

मंडे मॉर्निंग इस विषय पर लंबे समय से लिखता रहा है कि राजनीतिक स्वीकार्यता भी और कानूनी बंदिश भी , ऐसे दोहरे मापदंड से जनता के बीच भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है । यौनकर्मियों का शोषण भी होता है और नए अपराध भी जन्म लेते हैं ।

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Last updated: अक्टूबर 5th, 2019 by Pankaj Chandravancee