ना पुलिस का भय और ना ही कानून का डर,अलबत्ता क्षेत्र की भू माफिया क्षेत्र की सरकारी जमीनों पर भी भेड़िये की तरह निगाह गड़ाए बैठे है, राजनीतिक संरक्षण प्राप्त इन भू माफियाओं के लिए भेस्टेड लैंड से लेकर सरकारी जमीन तक की बाकायदा मुहबोली कीमत में बेचीं और दखल की जा रही है । इन जमीनों की निगेहबानी करने वाले सरकारी कर्मचारी भी सिर्फ अपनी वेतन को ही अपना अधिकार समझते है, ऐसे में सरकारी संम्पति लूट जाए उसे देखने वाला कोई नहीं । कुछ मामलों में अधिकारी वेतन के अलावा ऊपरी कमाई की मोह में जमीर के साथ जमीन बेचने में सक्रिय भूमिका क्षेत्र में निभा रहें है, ऐसे में सरकारी संस्थानों में अधिकारियोंं की भ्रस्टाचार रोकने के लिए अन्य राज्यों में गठित एंटी क्रप्सन ब्यूरो की कमी आज बंगाल में खल रही है ।
ताजा उदहारण माँ कल्याणेश्वरी मंदिर के निकट स्थित पीएचइ विभाग की वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की है । कल्याणेश्वरी मंदिर से डिबूडीह की ओर जाने वाली पीडबल्यूडी मुख्य मार्ग पर और पीएचइ बाउंड्री से सटे सड़क के किनारे लगभग 8-10 कट्ठा जमीन को भू-माफियाओं ने कब्ज़ा कर लिया है, हालाँकि जमीन पर अभी तक घर अथवा दुकान नहीं बनी है,किन्तु नींव डालकर प्लोटिंग कर दी गयी है, मामले को लेकर संबंधित अधिकारी जल्द ही सचेत नहीं हुए तो वो दिन दूर नहीं कि देखते ही देखते इस सरकारी जमीन पर जल्द ही अवैध ईमारत खड़ी हो जाएगी ।
अजितेश्नगर के समीप स्थित इस जगह पर एक स्थानीय निवासी के घर विवाह का आयोजन किया गया था, स्थानीय लोगों ने बताया कि विवाह में आने वाली गाड़ियों को रखने के लिए इस सरकारी जमीन को मशीन से समतल किया गया था, विवाह का समापन होते ही समतल और सपाट जमीन देखकर भू-माफियाओं की लार टपक पड़ी और दखल का अभियान निरंतर जारी है, जानकार बताते है कि सड़क के किनारे होने के कारण इस जमीन पर होटल दुकान बनाने वालों की होड़ लगी रहती है, जमीन की कागजात नहीं होने की सूरत में भी लोग लाखों रुपये देकर इस जमीन को अपना बनाने की इच्छा रखते है।
यह इकलौता मामला नहीं है,कल्याणेश्वरी पीएचइ मुख्य गेट से लेकर अजितेश नगर तक आज पीएचइ और पीडबल्यूडी की जमीन पर सैकड़ों अवैध निर्माण हो चुकी है जिसमें छोटी दुकान से लेकर बहुमंजिला ईमारत तक शामिल है, इतना ही नहीं कुछ लोग तो पीएचइ विभाग की दीवार तोड़कर अन्दर तक प्रवेश कर चुके है, पूरे प्रकरण में अधिकारियों की मिली भगत और संलिप्ता की भी बात सामने आ रही है ।