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सीमा पर फंसे श्रमिकों ने झारखण्ड प्रशासन के खिलाफ किया प्रदर्शन, आखिर बंगाल प्रशासन ने की मदद

झारखंड-बंगाल की सीमा डिबूडीह में बिहार, झारखण्ड,उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश के फंसे  हुए 350 श्रमिकों ने झारखंड सीमा पर झारखण्ड राज्य सरकार के विरुद्ध शुक्रवार को एनएच-2 को अवरूद्ध कर दिया। मजदूरों की मांग थी कि उन्हें अपने राज्य में जाने दिया जाए। वे तीन दिनों से सीमा पर (बंगाल) में भूख से लड़ रहे हैं और उनके पास खाने को कुछ भी नहीं है।

इस गर्मी में उन्होंने पैदल और साईकिल से यात्रा कर यहाँ तक आए हैं  । झारखंड प्रशासन उन्हें अपने राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहा है। और निरंतर इंतजार किया जा रहा है कि झारखण्ड प्रशासन द्वारा उन्हें कब प्रवेश करने दिया जाएगा। अंततः थक हार कर विरोध का रास्ता अपनाना पड़ा ।

तीन दिन से सीमा पर फंसे मजदूरों को 9 बसों से उनके घर भेजा गया

काफी समय के हो हल्ला होने के बाद बंगाल पुलिस द्वारा सहायता का हाथ बढ़ाया गया और बंगाल सरकार द्वारा सरकारी बसों की सहायता से सभी मजदूरों को भेजने की व्यवस्था की गई। जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शांत हुआ। मामले को लेकर झारखंड प्रशासन से बंगाल पुलिस ने वार्ता कर सभी श्रमिकों घर भेजने की व्यवस्था की और पश्चिम बंगाल सरकार की 9 बसों की सहायता से सभी मजदूरों को उनके राज्य तक पहुँचने की व्यवस्था की गई। बोर्डर पर तीन दिन से रुके श्रमिकों ने प्रशासन से सभी शारीरिक परीक्षाओं और उनके राज्य या जिलों में ले जा कर 14 दिनों के लिए कोरेंटिन में रखने तक का अनुरोध पिछले 3 दिनों से कर रहे थे।

झारखंड सरकार ने नहीं की मदद , बंगाल प्रशासन ने बढ़ाया मदद का हाथ

फिर भी झारखंड प्रशासन मजदूरों की फरियाद अनसुनी कर रहा था जिससे बाध्य होकर झारखंड प्रशासन के विरुद्ध आन्दोलन करने को बाध्य हुए । फंसे हुए श्रमिकों में एक श्रमिक ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल में अलग-अलग जगहों पर काम करते हैं,लॉक डाउन के कारण सभी काम बंद हो गया हैं, महीनों से अधिक का लॉकडाउन होने के कारण उनके पास पैसे नहीं बचे, अब मजबूर है, घर जाने के लिएकुछ लोग साईकिल से तो कुछ लोग पैदल ही घर के लिए निकल गए है। लेकिन कई दिनों से डिबूडीह चेकपोस्ट पर झारखंड प्रशासन हमें अपने राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दे रहा था, हम सभी लोग कई दिनों से भूखे हैं, हमें सिर्फ यह आश्वासन दिया जा रहा था कि आपलोगों के लिए व्यवस्था की जा रही है, लेकिन कुछ व्यवस्था नहीं गई, श्रमिक ने कहा कि हमारे विरोध के बाद भी  हमलोगों को झारखण्ड सरकार से कोई सहायता नहीं मिली। अंततः बंगाल सरकार ने हमारी सहायता के लिए हाथ बढ़ाया और बस की ओर खाने की व्यवस्था की ।

साइकिल सीमा पर ही बेचनी पड़ी

हमें बस यही अफ़सोस है कि हमने जो कर्ज करके अपने घर जाने के लिए हजारों रुपए की साईकिल खरीदी थी, वो साईकिल यही स्थानीय लोगों को 200 से 300 रुपए बेच कर जाना पड़ रहा है, क्योंकि बस में जगह नहीं होने के कारण साईकिल नहीं ले जाया जा सकता है। सभी मज़दूर बंगाल पुलिस एवं राज्य सरकार को धन्यवाद करते हुए अपने अपने घर को रवाना हो गए ।

Last updated: मई 8th, 2020 by Guljar Khan